जय शाह मानहानि मामला : सुप्रीम कोर्ट ने सुलह का सुझाव दिया, द वायर ने कहा, समाचार जनहित में, सुलह की गुंजाइश नहीं
LiveLaw News Network
18 April 2018 1:45 PM IST
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह द्वारा द वायर वेब पोर्टल के खिलाफ दाखिल आपराधिक मानहानि के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि इसे कोर्ट से बाहर बैठकर सुलझाना बेहतर होगा लेकिन द वायर की ओर से इससे इनकार कर दिया गया। वेब पोर्टल ने दावा किया कि जय शाह के खिलाफ आर्टिकल जनहित में दिया गया था और कोर्ट से बाहर समझौता नहीं हो सकता।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने इस केस की सुनवाई जुलाई के पहले सप्ताह तक टाल दी है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट द वायर की पत्रकार रोहिणी सिंह व संपादकों की याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत में चल रहे ट्रायल पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
बुधवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड मे कहा कि इस मामले में दोनों पक्षों के वरिष्ठ वकील साथ बैठ सकते हैं और अदालत से बाहर सुलह कर सकते हैं।
जय शाह की ओर से कहा गया कि इस मामले में विकल्प खुला है लेकिन द वायर की ओर से कहा गया कि जय शाह के खिलाफ समाचार जनहित को देखते हुए दिया गया था। ऐसे में समझौते का सवाल कहां से आ गया ?
इसके बाद पीठ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई जुलाई के पहले हफ्ते में की जाएगी।
गौरतलब है कि गुजरात हाईकोर्ट ने वेब पोर्टल द वायर की पत्रकार रोहिणी सिंह की याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने जय शाह द्वारा दाखिल आपराधिक मानहानि केस को रद्द करने की मांग की थी।
वेब साइट ने दावा किया था कि एनडीए के सत्ता में आने के एक साल बाद उनकी कंपनी का कारोबार 16,000 गुना बढ़ गया था। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कंपनी ने अपने कारोबार में भारी वृद्धि की। एक साल में इसकी आय 50,000 रुपये से बढ़कर 80 करोड़ रुपये हो गई। जय शाह ने लेख लिखने वाली रोहिणी सिंह व संपादकों के खिलाफ आपराधिक मानहानि मुकदमा दायर किया है। आपराधिक मानहानि के मामले में महानगर मजिस्ट्रेट ने 13 नवंबर को सभी उत्तरदाताओं को बुलाया था।
कोर्ट ने वेब साइट के खिलाफ आदेश दिया था कि वो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अमित शाह के खिलाफ किसी विशेष रुप में समाचार नही प्रकाशित कर सकते।जिसके बाद द वायर ने हाईकोर्ट का रुख किया था लेकिन हाईकोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी थी।