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एफआईआर निरस्त हो जाने के बाद रोजगार चाहने वाले किसी उम्मीदवार के खिलाफ प्रतिकूल निष्कर्ष नहीं निकला जा सकता : त्रिपुरा हाई कोर्ट [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
18 April 2018 5:05 AM GMT
एफआईआर निरस्त हो जाने के बाद रोजगार चाहने वाले किसी उम्मीदवार के खिलाफ प्रतिकूल निष्कर्ष नहीं निकला जा सकता : त्रिपुरा हाई कोर्ट [आर्डर पढ़े]
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त्रिपुरा हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई उम्मीदवार अपने खिलाफ दायर एफआईआर को हाई कोर्ट द्वारा निरस्त किये जाने के बाद रोजगार चाहता है तो इसका गलत निष्कर्ष नहीं निकाला जाना चाहिए।

एक उम्मीदवार जो कि हाई कोर्ट में ग्रुप-D के लिए चुना गया था, की दावेदारी हाई कोर्ट ने इसलिए रद्द कर दी क्योंकि एक समय उसके खिलाफ इम्मोरल ट्रैफिक (प्रिवेंशन) एक्ट, 1956 के तहत एफआईआर दायर किया गया था। हालांकि उसके आग्रह पर हाई कोर्ट ने अथॉरिटीज को निर्देश दिया था कि वे इस पर विचार करें। पर इसको दुबारा इस आधार पर रद्द कर दिया गया कि यद्यपि उम्मीदवार के खिलाफ आपराधिक मामला हाई कोर्ट ने समाप्त कर दिया है, उसका व्यवहार यह आत्मविश्वास पैदा नहीं करता कि उसको हाई कोर्ट की सेवा में भर्ती किया जाए।

न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति एस तालपत्र की पीठ ने कहा कि एफआईआर के अलावा, उम्मीदवार के खिलाफ और कोई मामला नहीं है जिसकी वजह से उसको नियुक्ति नहीं दी जाए।

कोर्ट ने जोगिन्दर सिंह बनाम केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ मामले में कोर्ट के फैसले का जिक्र किया और कहा कि न्यायालय द्वारा बरी करार दिए जाने के बाद उसको सार्वजनिक रोजगार प्राप्त करने से यह कहकर वंचित नहीं किया जाना चाहिए था कि वह पद के योग्य नहीं है।

नियुक्ति को रद्द करने वाले आदेश को निरस्त करते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया कि चयन होने की स्थिति में ग्रुप-D में याचिकाकर्ता की नियुक्ति पर गौर किया जाए।


 
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