इस तरह ब्रह्मानंद शर्मा ने राजस्थान के पहले दृष्टिहीन जज बनने के लिए सारी बाधाओं को हराया
LiveLaw News Network
16 April 2018 7:40 PM IST
अजमेर जिले के सरवर शहर के सिविल न्यायाधीश और न्यायिक मजिस्ट्रेट ब्रह्मानंद शर्मा 22 वर्ष की आयु में ग्लेकोमा के कारण अपनी दृष्टि खो चुके हैं। हालांकि इसके बावजूद न्यायाधीश बनने के अपने सपने का पीछा करना बंद नहीं किया। जब उन्हें कोचिंग सेंटरों से हटा दिया गया, उनकी पत्नी ने प्रभार संभाला और किताबें पढ़ीं और इस पढाई को रिकॉर्ड किया। उन्होंने यह रिकॉर्डिंग अक्सर सुनने के लिए एक आदत बना ली। उनकी कड़ी मेहनत का फल मिला और उन्होंने 2013 की राजस्थान ज्यूडिशियल सर्विसेज परीक्षा के पहले प्रयास में 83 वीं रैंक हासिल की।
इसके बाद वो एक साल के प्रशिक्षण के लिए गए और 2016 में सेवा में शामिल हो गए।
उन्हें शुरू में चित्तौड़गढ़ में तैनात किया था और हाल ही में सरवर स्थानांतरित कर दिया गया था। शर्मा अब कंप्यूटर से जुड़े एक ई-बोल डिवाइस का उपयोग करते हैं, जो रीडर द्वारा भाषण में लिखे गए नोटों को परिवर्तित और रिकॉर्ड करता है।
उन्होंने वकीलों से अनुरोध किया है कि वे अपनी प्रार्थना और संलग्न दस्तावेजों को पढ़ें, एक ही रिकॉर्ड रखे और कई बार उन्हें देखें।
स्वाभाविक रूप से उन्होंने न्यायालयों में प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग की वकालत की, इस तथ्य पर जोर देते हुए कि यह अशिक्षित को भी बेहतर पहुंच सुनिश्चित कर सकता है।
TOI से बात करते हुए वह कहते हैं कि वह किसी भी समझौता किए बिना अपने सपने को हासिल करने में उत्साहित है और जब वह कहते हैं, "मुझे अपनी विकलांगता के लिए कोई पछतावा नहीं है" तो एक सच्चे विजेता की तरह बोलते हैं।