परोपकारी दानकर्ताओं को मुआवजा देने के प्रावधान वाले अंग प्रत्यारोपण दिशानिर्देश को केरल हाई कोर्ट ने सही ठहराया [निर्णय पढ़ें]
LiveLaw News Network
15 April 2018 4:23 PM GMT
केरल हाई कोर्ट ने अंग प्रत्यारोपण के दिशानिर्देशों को सही ठहराया है जिसमें परोपकारी अंग दानकर्ताओं को मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है। इन दिशानिर्देशों को केरल सरकार ने मानव अंग प्रत्यारोपण और ऊतक अधिनियम, 1994 के तहत तैयार किया है। इन दिशानिर्देशों को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि ये मानव अंगों को व्यावसायिक स्तर पर जमा करने की प्रक्रिया को बढ़ावा देगा जिसकी अधिनियम की धारा 19 में मनाही है।
ये दिशानिर्देश निम्न तरीके से परोपकारी अंग दानकर्ताओं को मुआवजे का प्रावधान करता है :
(1) दानकर्ता के आकलन और उसकी सर्जरी पर आने वाले खर्चों का वहन अंग प्राप्त करने वाला करेगा। दानकर्ता को आय की हानि की भरपाई की जाएगी और यह 50 हजार रुपए प्रतिमाह के हिसाब से तीन महीने तक सीमित होगा। दानकर्ता को उसके पूरे जीवन अवधि के लिए सरकारी चिकित्सा बीमा दिया जाएगा।
(2) किसी परोपकारी व्यक्ति से अंग प्राप्त करने वाले व्यक्ति को दो लाख रुपए अंग उपयोग फीस के रूप में देना होगा जो कि परोपकारी दानकर्ता के स्वास्थय के देखभाल पर खर्च किया जाएगा।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अंटोनी डोमिनिक और न्यायमूर्ति डामा शेषाद्री नायडू की खंडपीठ ने कहा कि इन प्रावधानों का उद्देश्य दानकर्ता के भविष्य का ख़याल रखना है और इनको मानव अंगों के व्यापार में मदद करने वाला नहीं माना जा सकता।
यह गौर करने वाली बात है कि दिशानिर्देशों का निर्धारण हाई कोर्ट के 24 नवंबर 2017 के निर्देश के अनुरूप किया गया है। केरल हाई कोर्ट की एकल पीठ के प्रमुख न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन ने कहा कि वांछित अंग दानकर्ताओं के बारे में मीडिया में प्रकाशित होने वाली बातें गैरकानूनी हैं; फैसले में राज्य सरकार को यह निर्देश दिया गया कि वह ताजा दिशानिर्देश बनाए ताकि बीमार लोगों को परोपकारी अंग दानकर्ताओं की पहचान कर राहत पहुंचाया जा सके। यह नया दिशानिर्देश इसी का परिणाम है।