थैलिसीमिया मेजर से ग्रस्त होने के 5 महीने बाद डॉक्टर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, MCI ने PG कोर्स को दिव्यांग अधिनियम, 2016 के अनुरूप बनाया
LiveLaw News Network
14 April 2018 9:52 PM IST
नए विनियमन में 21 दिव्यांगता के लिए 5% आरक्षण का प्रावधान
थैलिसीमिया मेजर से पीड़ित होने के पांच महीने बाद एक डॉक्टर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। डॉक्टर को दिव्यांगता प्रमाणपत्र चाहिए था ताकि वह स्नातकोत्तर में दिव्यांगता कोटे के तहत प्रवेश ले सके। मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया (एमसीआई) ने पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन्स, 2000 को संशोधित किया है ताकि वह दिव्यांग अधिकार अधिनियम, 2016 के अनुरूप हो सके और 21 तरह की दिव्यांगता के लिए आरक्षण दिया जा सके।
इस संशोधित विनियमन को 5 अप्रैल को गजट में अधिसूचित कर दिया गया।
अब संशोधित अधिनियम के अनुरूप 5% सीट दिव्यांगों को दी जाएगी। प्रवेश स्नातकोत्तर मेडिकल कोर्ट में प्रवेश के लिए होने वाली राष्ट्रीय परीक्षा में प्राप्त अंक के मेरिट लिस्ट के आधार पर होगा। इससे पहले सिर्फ 3% आरक्षण ही दिया जाता था और वह भी उन लोगों को जो गतिरोध दिव्यांगता के शिकार होते थे। दिव्यांगता अधिनियम में 2016 संशोधन और 19 अप्रैल 2017 से इसके लागू होने के बाद भी यही नियम लागू रहा।
संशोधित अधिनियम में 21 तरह की दिव्यांगता की पहचान की गई है और इनमें थालीसिमिया को भी शामिल किया गया है।
अहमदाबाद के रोहन जोबपुत्र ने नवंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट में स्नातकोत्तर मेडिकल एजुकेशन विनियमन 2000 को चुनौती दी थी क्योंकि यह संशोधित दिव्यांगता अधिनियम के अनुरूप नहीं था।
रोहन को थैलिसीमिया है और एमसीआई विनियमन के दिव्यांगता अधिनियम के अनुरूप नहीं होने के कारण वह पीजी में निर्धारित कोटे के तहत प्रवेश के लिए आवेदन नहीं कर सका। रोहन ने बीजे मेडिकल कॉलेज, अहमदाबाद से एमबीबीएस किया है।
30 जनवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने रोहन की याचिका को उस निस्तारित कर दिया जब एमसीआई ने कोर्ट से कहा कि संशोधित विनियमन को अधिसूचित करने के लिए भेजा जा चुका है और इसमें थैलिसीमिया भी शामिल है।
रोहन ने अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल में इंटर्नशिप किया पर मार्च 2018 में गुजरात सरकार ने गुजरात प्रोफेशनल पोस्ट –ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशनल कोर्सेज (रेगुलेशन ऑफ़ एडमिशन) रूल्स, 2018 बनाया पर यह अधिनियम भी दिव्यांगता अधिनियम, 2016 के अनुरूप नहीं था। रोहन ने इस मुद्दे पर फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
इससे पहले कि उसकी याचिका पर सुनवाई होती, एमसीआई ने संशोधित विनियमनों को अधिसूचित कर दिया और इस तरह रोहन की मुश्किलों का अंत हुआ।