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केंद्र ने PAN कार्ड में ट्रांसजेंडर विकल्प शामिल करने के लिए नियमों में बदलाव किया [अधिसूचना पढ़ें]
![केंद्र ने PAN कार्ड में ट्रांसजेंडर विकल्प शामिल करने के लिए नियमों में बदलाव किया [अधिसूचना पढ़ें] केंद्र ने PAN कार्ड में ट्रांसजेंडर विकल्प शामिल करने के लिए नियमों में बदलाव किया [अधिसूचना पढ़ें]](http://hindi.livelaw.in/wp-content/uploads/2017/11/Transgenders-are-third-gender-Supreme-Court.jpg)
पूरे ट्रांसजेंडर समुदाय की ये जीत है कि केंद्र सरकार ने आयकर नियमों, 1962 में संशोधन कर दिया है ताकि ट्रांसजेंडर को उनके कर-संबंधित लेनदेन के लिए स्थायी खाता संख्या (PAN) प्राप्त करने के लिए आवेदकों की एक स्वतंत्र श्रेणी के रूप में मान्यता दी जा सके।
ये अधिसूचना 9 अप्रैल को आयकर अधिनियम, 1961 के धारा 139 ए और 295 के तहत वित्त मंत्रालय द्वारा जारी की गई।
दरअसल सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में दिए फैसले में प्रगतिशीलता के रूप में स्वागत करते हुए ट्रांसजेंडर समुदाय को औपचारिक रूप से तीसरे लिंग के रूप में मान्यता देने और सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग के लाभ देने के निर्देश दिए थे।
हालांकि वे आयकर रिटर्न भरने जैसे नियमित मामलों में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं क्योंकि अब तक PAN कार्ड और फॉर्म पर "तीसरा लिंग" का कोई विकल्प नहीं था।
ये कदम बिहार के एक ट्रांसजेंडर सामाजिक कार्यकर्ता के सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसजेंडर को सटीक पहचान प्रमाण देने के लिए PAN कार्ड और PAN के लिए आवेदन पत्र के लिए एक अलग "तीसरा लिंग" श्रेणी बनाने बनाने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की याचिका के बाद उठाया गया।
ह्यूमन राइट लॉ नेटवर्क के माध्यम से दायर याचिका में रेश्मा ने PAN और आधार को जोड़ने और के उद्देश्य से पैन में तीसरे लिंग के रूप में स्वयं की पहचान के लिए दाखिल याचिका को खारिज करने वाले पटना उच्च न्यायालय के 19 सितंबर 2017 के आदेश को चुनौती दी है। इस "विसंगति" को चुनौती देते हुए उसकी याचिका में कहा गया है कि "... ट्रांसजेंडर पुरुषों और महिलाओं के पंजीकरण पूरी तरह से सीमित करके PAN कार्ड प्राप्त करने से रोकना NLSA (2014) में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय और संविधान के कई प्रावधानों का उल्लंघन है और और असंगत है। "