सुप्रीम कोर्ट में बेंच के गठन और बेंचों के अधिकार क्षेत्र के आवंटन के लिए नियम बनाने की PIL पर CJI ने कहा,“हम आदेश जारी करेंगे” [याचिका और आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
9 April 2018 9:31 PM IST
"सर्वोच्च न्यायालय के चार सबसे वरिष्ठ जज की प्रेस कॉन्फ्रेंस के साथ ही मुख्य न्यायधीश के बेंच बनाने और अधिकार क्षेत्र के निपटारे के संबंध में निर्धारित नियमों के अधिकार को विनियमित करने के लिए
ये मामला सार्वजनिक क्षेत्र में आया और इसलिए यह याचिका राष्ट्रीय / सार्वजनिक हित में है,” याचिका में कहा गया है।
मुख्य सुझाव
- CJI कोर्ट मेंतीन न्यायाधीशों की पीठ मेंCJI और दो वरिष्ठ न्यायाधीश हों
- संविधान पीठ में 5 सबसेवरिष्ठ न्यायाधीश हों या तीन सबसे वरिष्ठ और दो सबसे कनिष्ठ न्यायाधीश हों
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की भूमिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ही चार वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद मामला थमा नहीं है। अब सर्वोच्च न्यायालय में बेंच के गठन करने और विभिन्न बेंचों के अधिकार क्षेत्र के आवंटन के लिए एक प्रक्रिया विकसित करने को लेकर एक याचिका दायर की गई है।
खास बात ये है कि याचिका को स्वीकार करते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड ने लखनऊ के वकील याचिकाकर्ता अशोक पांडे की संक्षिप्त बहस के बाद कहा, “ ठीक है। हम आदेश पारित करेंगे।”
वकील पांडे की याचिका में कहा गया है: "याचिकाकर्ता सर्वोच्च न्यायालय में विभिन्न पीठों के गठन और अधिकार क्षेत्र के आवंटन के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया तैयार करने के लिए प्रथम प्रतिवादी (सर्वोच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार) को आदेश की मांग करता है।"
याचिका में सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को सर्वोच्च न्यायालय के नियमों में एक विशेष नियम रखने का भी एक आदेश दिया गया है कि CJI कोर्ट में तीन न्यायाधीशों की पीठ में CJI और दो वरिष्ठ न्यायाधीश हों।संविधान पीठ में 5 सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हों या तीन सबसे वरिष्ठ और दो सबसे कनिष्ठ न्यायाधीश हों।
"सर्वोच्च न्यायालय के चार सबसे वरिष्ठ जज की प्रेस कॉन्फ्रेंस के साथ मुख्य न्यायधीश के बेंच बनाने और अधिकार क्षेत्र के निपटारे के संबंध में निर्धारित नियमों के अधिकार को विनियमित करने के लिए ये मामला सार्वजनिक हुआ इसलिए यह याचिका राष्ट्रीय / सार्वजनिक हित में है,” यह कहा गया है।
दरअसल चार सीनियर जज जस्टिस जे चेलामेश्वर, रंजन गोगोई, कुरियन जोसेफ और मदन बी लोकुर ने इस साल 12 जनवरी को ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया था। जिस तरीके से सीजेआई ने "चुनिंदा" केस अपनी प्राथमिकता वाली “ बेंच" को आवंटित किए, उस पर सवाल उठाया गया था। इस दौरान सीजेआई को लिखे गए एक पत्र में ये खुलासा हुआ।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि "राष्ट्र और संस्था के लिए दूरगामी परिणाम वाले मामलों को सीजीआई द्वारा चुनिंदा रूप से अपनी वरीयता वाली बेंच में सौंपा गया है।” उन्होंने तर्क दिया था कि "चीजें क्रम में नहीं हैं" और "कई अवांछनीय बातें हो रही हैं।”
उन्होंने कहा था हालांकि CJI मास्टर ऑफ रोस्टर हैं (जो फैसला करते हैं कि किस मामले में कौन सी बेंच सुनवाई करेगी) लेकिन वो मनमानी कर रहे हैं। हालांकि वह केवल ' बराबर में पहले हैं’ और श्रेष्ठ प्राधिकारी नहीं है। लेकिन वो ऐसा ही व्यवहार कर रहे हैं। उन्होंने कहा था, " ऐसे किसी भी कदम से संस्थान की अखंडता के बारे में संदेह पैदा होने के अप्रिय और अवांछनीय परिणाम होंगे।”
पिछले हफ्ते वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण ने सर्वोच्च न्यायालय में भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के प्रशासनिक प्राधिकरण पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए जनहित याचिका दायर की है। इसमें रोस्टर के मास्टर के रूप में चीफ जस्टिस के अधिकार और
मामलों के आवंटन के लिए सिद्धांतों और प्रक्रियाओं का पालन करने के लिए नियम बनाने की मांग की गई है।