Begin typing your search above and press return to search.
ताजा खबरें

कावेरी जल विवाद : पुदुचेरी भी तमिलनाडु के समर्थन में पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, 9 अप्रैल को सुनवाई

LiveLaw News Network
6 April 2018 5:08 AM GMT
कावेरी जल विवाद : पुदुचेरी भी तमिलनाडु के समर्थन में पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, 9 अप्रैल को सुनवाई
x

केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी  ने गुरुवार को 16 फरवरी के फैसले के अनुसार कावेरी प्रबंधन बोर्ड की स्थापना के लिए केंद्र को निर्देश देने के लिए तमिलनाडु के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इसे 9 अप्रैल को केंद्र, टीएन और केरल द्वारा दायर अर्जियों के साथ सुना जाएगा।

वकील वीजी द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया है  कि सुप्रीम कोर्ट ने एक योजना तैयार करने का निर्देश देते हुए 16 फरवरी के फैसले में स्पष्ट कर दिया था कि आगे कोई विस्तार नहीं किया जाएगा।  निर्देश लागू करने और संविधान के अनुच्छेद 144 के तहत कावेरी प्रबंधन बोर्ड और कावेरी जल विनियमन समिति की स्थापना करना  केंद्र का कर्तव्य है और इससे वो बच नहीं सकता।  यह कहा गया है कि मुख्यमंत्री  वी नारायणस्वामी ने 25 फरवरी को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को न्यायपालिका के आदेश के कार्यान्वयन के लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए  दौरे के दौरान एक ज्ञापन सौंपा था। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा इस योजना को तैयार करने में कोई देरी गंभीर रूप से संघ राज्य क्षेत्र के कराईकल क्षेत्र के किसानों को गंभीर रूप से प्रभावित करेगी। वे पहले से ही दो गंभीर सूखा वर्षों का सामना कर चुके हैं। जैसा कि दक्षिण पश्चिम मानसून जून के पहले सप्ताह में आ जाएगा, यह जरूरी है कि यह योजना मॉनसून की शुरुआत से पहले ही लागू होनी चाहिए।

गौरतलब है कि कावेरी जल विवाद मामले में जल्द सुनवाई की मांग को लेकर केंद्र सरकार भी सुप्रीम कोर्ट पहुंची है जबकि तमिलनाडु ने भी केंद्र सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की है।

 मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गया था जिसमें कावेरी प्रंबंधन बोर्ड का गठन ना करने पर केंद्र सरकार के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला चलाने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई  9 अप्रैल को तय की है।

दरअसल सोमवार को तमिलनाडु की ओर से वकील जी उमापति ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से इस याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की तो CJI ने कहा, “ हम तमिलनाडु की परेशानी समझते हैं। हम देखेंगे कि तमिलनाडु को उसके हिस्से का पानी मिले। फैसले में सिर्फ प्रबंधन बोर्ड की बात नहीं थी बल्कि पूरी योजना दी गई है।”अपनी याचिका में तमिलनाडु  सरकार ने कहा है कि  केंद्र ने जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा 16 फरवरी को दिए गए फैसले को लागू नहीं किया। फैसले के तहत 6  हफ्तों के भीतर कावेरी प्रंबंधन बोर्ड एवं कावेरी बनाया जाना था।29 मार्च को समय सीमा खत्म होने के बाद भी केंद्र ने इसका गठन  नहीं किया। अपनी याचिका में तमिलनाडु ने कहा है कि फैसले के तीन हफ्ते बाद नौ मार्च को केंद्र सरकार ने चारों राज्यों (तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, पुडुचेरी) के मुख्य सचिव की बैठक बुलाई। इस बैठक के बाद भी सरकार की ओर से कोई प्रगति नहीं दिखाई दी है।  केंद्र निश्चित समय में फैसले का पालन करने में विफल  रहा है और इसके पीछे कोई ठोस कारण नहीं है।

दूसरी ओर कावेरी जल विवाद मामले में केंद्र सरकार ने भी शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।  इसमें कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड गठित करने के लिए  तीन महीने का समय मांगा है।  केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में दलील दी है कि कर्नाटक में मई में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में अगर इस वक़्त अंतर-राज्यीय नदी विवाद कानून की धारा 6 (ए) के तहत कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड गठित किया गया तो कर्नाटक में हंगामा हो सकता है। इससे चुनाव प्रक्रिया तो प्रभावित होगी ही कानून-व्यवस्था की अन्य गंभीर समस्याएं भी खड़ी हो जाएंगी।केंद्र में अपने हलफनामे में अब तक बोर्ड गठित न किए जाने की वज़ह भी बताई। केंद्र ने दलील दी है कि फरवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड गठित करने का जो आदेश दिया था उस पर इसलिए अमल नहीं हो पाया क्योंकि इस पर सभी पक्षों (केंद्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल) में सहमति नहीं थी।केंद्र ने यह भी कहा है कि  इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट और स्पष्ट निर्देश जारी करे।

केंद्र सरकार के मुताबिक केरल और कर्नाटक ख़ास तौर पर चाहते हैं कि अंतर-राज्यीय नदी विवाद कानून के तहत अगर कोई बोर्ड गठित किया जाता है तो पहले उससे संबंधित तमाम पहलुओं पर उनसे विचार-विमर्श किया जाना चाहिए। इसके बाद ही बोर्ड के गठन से संबंधित अधिसूचना जारी की जानी चाहिए। वहीं केरल सरकार ने भी इस  'में 16 फरवरी के फैसले पर पुनर्विचार  करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है और 30 TMC  पानी के अपने हिस्से  में से 5 TMC कोझीकोड निगम और 13 पंचायतों की पेयजल आवश्यकताओं के लिए भेजने की अनुमति के लिए आदेशों में संशोधन की मांग की है। केरल ने कहा है कि इस याचिका पर जजों के चैम्बर की बजाय खुली अदालत में सुनवाई होनी चाहिए। राज्य ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कावेरी ट्रिब्यूनल अवार्ड में 30 TMC पानी  के आवंटन का समर्थन किया और कावेरी के ट्रांस बेसिन के बाहर पानी भेजने की याचिका को खारिज कर दिया। अर्जी में कहा गया है कि वह इस स्तर पर किसी भी अतिरिक्त मात्रा के पानी के आवंटन के लिए नहीं कह रहा। इस याचिका का उद्देश्य केवल 30 टीएमसी पानी के उपयोग के बारे में एक आदेश प्राप्त करना है।

Next Story