चाय बागान श्रमिकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत, चार राज्यों को 127 करोड़ रुपये का भुगतान करने के निर्देश

LiveLaw News Network

5 April 2018 9:33 AM GMT

  • चाय बागान श्रमिकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत, चार राज्यों को 127 करोड़ रुपये का भुगतान करने के निर्देश

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को असम, केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सरकार को राज्यों में चाय बागान के मजदूरों को करीब 127 करोड़ रुपये का अंतरिम भुगतान करने का निर्देश दिया है।इस कानूनी देनदारी का 15 वर्षों से अधिक से भुगतान नहीं किया गया था।  न्यायमूर्ति एसए बोबड़े और न्यायमूर्ति एल  नागेश्वर राव की खंडपीठ ने ये  आदेश इंटरनेशनल यूनियन ऑफ फूड एसोसिएशन और पश्चिम बंगा खेत मजदूर समिति द्वारा दायर एक अवमानना ​​याचिका में  पारित किया है। इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि इस अवधि के दौरान भुखमरी के चलते सैकड़ों श्रमिकों की मृत्यु हो गई थी। केंद्र की ओर से प्रस्तुत किया गया था कि चार राज्यों में असम 249 करोड़; केरल 27 करोड़; तमिलनाडु  70 करोड़ और पश्चिम बंगाल 30 करोड़ रुपये की  मजदूरों को बकाया राशि है।

    इसलिए बेंच ने निर्देश दिया कि हर राज्य सरकार 60 दिनों के अंदर भुगतान करेगी, जो कि पीड़ित श्रमिकों और उनके परिवारों को अंतरिम राहत के द्वारा बकाया राशि के लगभग आधे के बराबर राशि है। कोर्ट ने चाय बागान चलाने वालों को भी कोर्ट में पेश होने को कहा था।चाय प्रतिष्ठानों की सूची बेंच को सौंपी गई थी और उन्हें अदालत में सुनवाई की अगली तारीख में पेश करने के लिए कहा गया था।

     यह निर्णय 3,00,000 से अधिक चाय बागान श्रमिकों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है जो पिछले दो दशकों से दुखी जीवन जी रहे थे। हजारों भुखमरी और बीमारी से मर गए थे और बंद चाय बागानों के चलते शेष श्रमिक बिना राशन, पीने के पानी, बिजली, स्कूल और  दवाखाने के ही रह रहे थे।

    सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार हस्तक्षेप 2010 में किया जब तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाडिया की अध्यक्षता की बेंच ने कहा, "हम पाते हैं कि 2006 तक ये रिट याचिका लंबित रही है, कोई कदम नहीं उठाया गया है। चाय कंपनियों ने चाय सम्पदा छोड़ दी है। श्रमिकों को उनके हालात पर छोड़ दिया गया है। वे दयनीय स्थिति में रह रहे हैं। उन्हें उनका बकाया प्राप्त नहीं हुआ है।”

    अब पीठ ने जोर देकर कहा है कि मजदूरों ने इतने लंबे वक्त तक परेशानी झेली है और अब इसमें और देरी को इजाजत नहीं दी जा सकती।

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