कावेरी जल विवाद : केंद्र ने भी जल्द सुनवाई की मांग की, तमिलनाडु ने विरोध किया, 9 अप्रैल को सुनवाई
LiveLaw News Network
3 April 2018 8:15 PM IST
कावेरी जल विवाद मामले में जल्द सुनवाई की मांग को लेकर अब केंद्र सरकार भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से वकील वसीम कादरी ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के समक्ष कहा कि इस संबंध में स्पष्टीकरण के लिए याचिका दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट मामले की जल्द सुनवाई करे। इसी दौरान तमिलनाडु की ओर से पेश जी उमापति ने इसका विरोध किया और कहा कि केंद्र ने अदालत के आदेश की अवमानना की है और कावेरी प्रबंधन बोर्ड का गठन नहीं किया। अब वो इसके लिए वक्त मांग रहे हैं। हालांकि चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले की सुनवाई नौ अप्रैल को तय की गई है। उसी दिन सारे मुद्दों पर सुनवाई होगी।
गौरतलब है कि कावेरी जल विवाद मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गया था जिसमें कावेरी प्रंबंधन बोर्ड का गठन ना करने पर केंद्र सरकार के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला चलाने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 9 अप्रैल को तय की है।
दरअसल सोमवार को तमिलनाडु की ओर से वकील जी उमापति ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से इस याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की तो CJI ने कहा, “ हम तमिलनाडु की परेशानी समझते हैं। हम देखेंगे कि तमिलनाडु को उसके हिस्से का पानी मिले। फैसले में सिर्फ प्रबंधन बोर्ड की बात नहीं थी बल्कि पूरी योजना दी गई है।”अपनी याचिका में तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि केंद्र ने जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा 16 फरवरी को दिए गए फैसले को लागू नहीं किया। फैसले के तहत 6 हफ्तों के भीतर कावेरी प्रंबंधन बोर्ड एवं कावेरी बनाया जाना था।29 मार्च को समय सीमा खत्म होने के बाद भी केंद्र ने इसका गठन नहीं किया। अपनी याचिका में तमिलनाडु ने कहा है कि फैसले के तीन हफ्ते बाद नौ मार्च को केंद्र सरकार ने चारों राज्यों (तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, पुडुचेरी) के मुख्य सचिव की बैठक बुलाई। इस बैठक के बाद भी सरकार की ओर से कोई प्रगति नहीं दिखाई दी है। केंद्र निश्चित समय में फैसले का पालन करने में विफल रहा है और इसके पीछे कोई ठोस कारण नहीं है।
दूसरी ओर कावेरी जल विवाद मामले में केंद्र सरकार ने भी शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड गठित करने के लिए तीन महीने का समय मांगा है। केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में दलील दी है कि कर्नाटक में मई में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में अगर इस वक़्त अंतर-राज्यीय नदी विवाद कानून की धारा 6 (ए) के तहत कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड गठित किया गया तो कर्नाटक में हंगामा हो सकता है। इससे चुनाव प्रक्रिया तो प्रभावित होगी ही कानून-व्यवस्था की अन्य गंभीर समस्याएं भी खड़ी हो जाएंगी।
केंद्र में अपने हलफनामे में अब तक बोर्ड गठित न किए जाने की वज़ह भी बताई। केंद्र ने दलील दी है कि फरवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड गठित करने का जो आदेश दिया था उस पर इसलिए अमल नहीं हो पाया क्योंकि इस पर सभी पक्षों (केंद्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल) में सहमति नहीं थी।केंद्र ने यह भी कहा है कि इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट और स्पष्ट निर्देश जारी करे। केंद्र सरकार के मुताबिक केरल और कर्नाटक ख़ास तौर पर चाहते हैं कि अंतर-राज्यीय नदी विवाद कानून के तहत अगर कोई बोर्ड गठित किया जाता है तो पहले उससे संबंधित तमाम पहलुओं पर उनसे विचार-विमर्श किया जाना चाहिए। इसके बाद ही बोर्ड के गठन से संबंधित अधिसूचना जारी की जानी चाहिए।
वहीं केरल सरकार ने भी इस 'में 16 फरवरी के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है और 30 TMC पानी के अपने हिस्से में से 5 TMC कोझीकोड निगम और 13 पंचायतों की पेयजल आवश्यकताओं के लिए भेजने की अनुमति के लिए आदेशों में संशोधन की मांग की है।
केरल ने कहा है कि इस याचिका पर जजों के चैम्बर की बजाय खुली अदालत में सुनवाई होनी चाहिए। राज्य ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कावेरी ट्रिब्यूनल अवार्ड में 30 TMC पानी के आवंटन का समर्थन किया और कावेरी के ट्रांस बेसिन के बाहर पानी भेजने की याचिका को खारिज कर दिया। अर्जी में कहा गया है कि वह इस स्तर पर किसी भी अतिरिक्त मात्रा के पानी के आवंटन के लिए नहीं कह रहा। इस याचिका का उद्देश्य केवल 30 टीएमसी पानी के उपयोग के बारे में एक आदेश प्राप्त करना है।