इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश, आश्रय स्थलों में रह रही अपराधों की शिकार नाबालिगों को बालिग़ होने पर छोड़े जाने के बारे में राज्य जानकारी पेश करे [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
3 April 2018 10:52 AM IST
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को राज्य को अपने आदेश में कहा कि वह राज्यभर के महिला संरक्षण होम्स में रह रहे अपराधों की शिकार नाबालिगों को उनके बालिग़ होने पर इन आश्रय स्थलों से छोड़े जाने के बारे में रिपोर्ट पेश करे।
न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने कहा कि अगर इस तरह के अपराध की शिकार युवतियों को छोड़ने की जगह कोई नीति बनाई गई है तो उसे इस बारे में बताया जाए।
कोर्ट ने कहा, “..बाल और महिला कल्याण विभाग इस बारे में सूचना जुटाएगा कि राज्य भर के महिला संरक्षण होम्स में अपराधों की शिकार कितने लोग रह रहे हैं और यहाँ रहते हुए कितने लोग बालिग़ हो गए हैं और क्या ऐसी कोई नीति इस समय लागू है या राज्य सरकार ने ऐसी कोई नीति बनाई है जिसके तहत अपराध की शिकार ऐसे लोगों को रिहा करने या इनके कल्याण की कोई योजना है जो इन केन्द्रों पर रहते हुए बालिग़ हुए हैं”।
कोर्ट एक महिला के पति द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश जारी किया। इस व्यक्ति ने अपनी पत्नी को सरकारी महिला आश्रय स्थली – नारी निकेतन, अयोध्या से छोड़े जाने की मांग की है। इस महिला को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश पर इस नारी निकेतन में उस समय रखने का आदेश दिया गया था जब वह नाबालिग थी क्योंकि वह अपने माँ-बाप के पास रहने के लिए तैयार नहीं थी।
इसके बाद इस वर्ष फरवरी में कोर्ट ने बालिग़ होने पर नाबालिग युवतियों को छोड़ने के मामले पर गौर किया और प्रधान सचिव, उत्तर प्रदेश को इस तरह के नाबालिगों के बारे में रिपोर्ट पेश करने को कहा था।
इस मामले की 28 मार्च को हुई सुनवाई में यह महिला कोर्ट में मौजूद थी और उसने अपने पति के साथ रहने की इच्छा जताई। इस बात पर गौर करने के बाद कि वह अब बालिग़ हो चुकी है, कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और महिला को उसके पति के साथ जाने की इजाजत दे दी।
लेकिन कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जनहित की बात छिपी हुई है इसलिए इसको एक जनहित याचिका की तरह पंजीकृत किया जाए।
कोर्ट ने फरवरी में जारी इस निर्देश पर तीन सप्ताह के भीतर कार्रवाई करने को कहा था। इसके अनुसार इस मामले पर अब तीन सप्ताह बाद उपयुक्त पीठ के समक्ष सुनवाई होगी।