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CrPC की धारा 357 (2) किसी भी तरह अपील के लंबित रहने तक जुर्माने की सजा को निलंबित नहीं करती : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
![CrPC की धारा 357 (2) किसी भी तरह अपील के लंबित रहने तक जुर्माने की सजा को निलंबित नहीं करती : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें] CrPC की धारा 357 (2) किसी भी तरह अपील के लंबित रहने तक जुर्माने की सजा को निलंबित नहीं करती : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]](http://hindi.livelaw.in/wp-content/uploads/2018/03/justice-sikri-and-ashok-bhushan.jpg)
धारा 357 की उप-धारा (2) में यह एक ऐसा प्रावधान है जो अपील की सीमा तक के लिए मुआवजे की राशि के उपयोग को अलग करता है या तब तक रोकता है जब तक अपील पर निर्णय ना हो जाए
सीआरपीसी की धारा 357 की उपधारा (2) के उद्देश्य को उजागर करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने सत्येंद्र कुमार मेहरा विरुद्ध झारखंड राज्य मामले में कहा है कि इस प्रावधान ने कभी भी आरोपी पर लगाए गए जुर्माना की सजा को निलंबन करने केबारे में कभी नहीं सोचा।
न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि अपर्याप्तता की सीमा तक दिए गए मुआवजे की राशि के उपयोग को अपील दायर होने तक दर्ज किए गए दावों में सबसे अच्छी तरह अलगरखा गया है या रोक लगाई गई है।
झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सत्येंद्र कुमार मेहरा की अपील को खारिज करते हुए खंडपीठ ने कहा, "अपील की लंबितता के दौरान किसी भी तरह जुर्माने की सजा के निलंबन का प्रावधान ठीक नहीं है।"
उच्च न्यायालय में सजा को निलंबित करते समय उसे निचली अदालत में जुर्माने की राशि जमा करने के निर्देश दिए गए थे। सत्येंद्र कुमार मेहरा चारा घोटाले मामले में सह-आरोपी थे, जिसमें लालू प्रसाद को दोषी भी ठहराया गया था।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ में अपीलकर्ता की ओर से तर्क दिया गया था कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 357 उप-धारा (2) प्रस्तुत करती है चूंकि अपीलकर्ता ने पहले ही उच्च न्यायालय में अपील दायर कर दी है इसलिए ट्रायल कोर्ट द्वारा जुर्माने के दंड पर अपील के फैसले तक स्वतः रोक लग गई है।
अदालत के विभिन्न फैसले और प्रासंगिक प्रावधानों का जिक्र करते हुए खंडपीठ ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 357 (2) को वर्तमान मामले में आकर्षित नहीं किया जा सकता क्योंकि सजा के तहत अदालत ने जुर्माने की रकम में से किसी भी मुआवजे का भुगतान करने का कोई दिशानिर्देश नहीं दिया था। पीठ ने कहा कि ये प्रावधान केवल तब सामने आता है, जहां सीआरपीसी की धारा 357 (1) या धारा 357 (3) के तहत सजा के रूप में लगाए गए जुर्माने का उपयोग मुआवजे के भुगतान के तहत देने का कोई आदेश भी दिया गया है।