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SC के निकट होने का मतलब ये नहीं कि गलत तरीके की SLP दाखिल करने की इजाजत मिलेगी : SC ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
26 March 2018 10:21 AM GMT
SC के निकट होने का मतलब ये नहीं कि गलत तरीके की SLP दाखिल करने की इजाजत मिलेगी : SC ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई [आर्डर पढ़े]
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वास्तविक तथ्य यह है कि दिल्ली उच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट से निकट है। याचिकाकर्ता को वर्तमान गलत तरीके से पेश की गई याचिका के माध्यम से इस न्यायालय के पास आने का अधिकार नहीं है। 

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक व्यक्ति द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट सेअपनी रिट याचिका को वापस ले लिया था।

न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर और  न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने बार-बार वकील से कहा कि एसएलपी पर किस तरह का आदेश दिया जा है जबकि वकील ने रिट याचिका को वापस ले लिया है। "इसके लिए कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है लेकिन वह अभी भी जोर देकर कहते हैं कि उन्हें इस केस में  सुना जाना चाहिए "

दरअसल उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने रिट याचिका को खारिज कर दिया क्योंकि वकील ने इसे वापस ले लिया था।  याचिका में ऋण वसूली अपीलीय ट्रिब्यूनल की कुछ कार्यवाही को चुनौती दी गई थी।

"एकमात्र उद्देश्य जिसके लिए याचिकाकर्ता ने इस अदालत में अर्जी दाखिल की है वो ये कि कोई अंतरिम आदेश उनके पक्ष में जारी होने चाहिए। लेकिन कोर्ट उसकी बात को कैसे माने और इस तरह की राहत का दावा कैसे किया जा सकता है जब याचिकाकर्ता पहले ही उच्च न्यायालय में याचिका दायर वापस ले चुका है।”

अदालत ने आगे कहा कि इस तरह की कार्यवाही के कारण अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग होता है। साथ ही न्यायिक समय और राशि का अपव्यय होता है।  वास्तविक तथ्य यह है कि दिल्ली उच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट से निकट है। याचिकाकर्ता को वर्तमान गलत तरीके से पेश की गई याचिका के माध्यम से इस न्यायालय के पास आने का अधिकार नहीं है।

पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि लगाए गए जुर्माने को सेना कल्याण कोष में जमा करें।


 
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