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तुच्छ याचिकाएं दाखिल ना करे उत्तर प्रदेश: सुप्रीम कोर्ट ने चेताया [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
24 March 2018 2:53 PM GMT
तुच्छ याचिकाएं दाखिल ना करे उत्तर प्रदेश: सुप्रीम कोर्ट ने चेताया [आर्डर पढ़े]
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हम देख रहे हैं कि कई मामले रहे हैं, खासकर यूपी से, जो कि दावे लायक भी नहीं हैं, बेंच ने कहा 

उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा दायर एक विशेष याचिका याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वह अपने कानून विभाग को उचित निर्देश जारी करे ताकि सर्वोच्च न्यायालय में मामूली मामलों को दाखिल ना किया जाए।

दरअसल राज्य ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी जिसमें सेवानिवृति के बाद लाभ की पूरी रकम को जारी करने का निर्देश दिया गया था। इसमें  सेवानिवृत्त कर्मचारी के पेंशन लाभ सहित साथ ही वह राशि भी शामिल है जिसकी उनके जीपीएफ से कथित तौर पर कटौती की गई।

 न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा: "राज्य के कानून विभाग को यह समझना चाहिए कि इस न्यायालय में किन मामलों में याचिकाएं दाखिल की जानी चाहिए I

हम देख रहे  हैं कि कई मामले आ रहे हैं, खासकर यूपी से, जो कि दावे लायक भी नहीं हैं। "

पीठ ने राज्य के मुख्य सचिव को यह निर्देश भी दिया कि वह दिशानिर्देशों के बारे में कोर्ट को जानकारी दें कि ऐसे मामूली मामलों को दाखिल करने से रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। अदालत ने उन्हें 16 जुलाई, 2018 को कार्रवाई संबंधी रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया।

कल न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने छत्तीसगढ़ राज्य से कहा था कि सरकारी कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का दावा करने के लिए अदालत में जाने के लिए मजबूर न करें। मुकदमे को लंबा खींचने के लिए राज्य पर 25000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।

 न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अगुवाई वाली एक अन्य पीठ ने एक उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ भारत सरकार द्वारा अपील की अनुमति दे दी थी। इसमें एक सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारी का समर्थन करते हुए भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को सिफारिश की थी कि एक सरकारी कर्मचारी के लिए सेवानिवृत्ति के बाद जीवन को आसान बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए।


 
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