विस्तृत शिकायत निवारण तंत्र को शामिल करने के लिए वेबसाइट अपडेट करें: दिल्ली हाईकोर्ट ने स्थानीय निकाय से कहा [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
24 March 2018 8:14 PM IST
दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले हफ्ते पूर्वी दिल्ली महानगर निगम (EDMC) को अपने पहले आदेश पर एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने में नाकाम रहने पर फटकार लगाई जिसमें अनधिकृत निर्माण और अतिक्रमण की शिकायत वाले लोगों के लिए शिकायत निवारण तंत्र को शामिल करने के लिए वेबसाइट को अपडेट करने के निर्देश जारी किए गए थे।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की खंडपीठ ने EDMC के आयुक्त को निर्देश दिया कि वो ये सुनिश्चित करने करे।कि 10 दिनों के भीतर स्टेटस रिपोर्ट पेश की जाए।
आगे निर्देश दिया गया, "आयुक्त,EDMC इस न्यायालय को उस वेबसाइट के बारे में भी सूचित करेंगे जिसमें जानकारी वेबसाइट पर अपलोड की जानी है और इसे नियमित रूप से अपडेट किया जाए ताकि नवीनतम जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हो।”
अनिल दत्त शर्मा द्वारा दायर याचिका में अवैध निर्माण और अतिक्रमण पर जनता द्वारा उठाई गई शिकायतों और शिकायतों पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई ना करने का आरोप लगाया था।
रिकार्ड पर उपलब्ध सामग्रियों के एक अवलोकन पर कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में कहा था कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाई गई कई शिकायतों को संबोधित किया जाएगा यदि शिकायतों का ब्यौरा और उन पर की गई कार्रवाई को सार्वजनिक डोमेन में रखा गया जाए।
इसके बाद यह देखा गया था, "यह प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाई गई कई शिकायतों को संबोधित किया जा सकता है यदि शिकायत के विवरणों को दर्ज करने के बारे में एक औपचारिक व्यवस्था, संपत्ति और / या उसके विषय में, शिकायत कार्यालय तक आने,
उस अधिकारी का नाम जो शिकायत को निपटाने के लिए नियुक्त किया गया , शिकायत पर दिया गया आदेश, शिकायत पर की गई कार्रवाई का ब्योरा, शिकायत को संबोधित या कार्यान्वयन में देरी के कारण, उस आदेश का जो उस पर पारित किया गया है, अधिकारियों का ब्योरा, यदि, बदला गया है तो नए अधिकारियों का विवरण, जब तक कि कार्रवाई पूरी नहीं हो जाती तब तक अधिकारियों के कार्यालयों में सार्वजनिक डोमेन में या उचित वेबसाइट पर डाल दिया जाए।
वास्तव में, सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 के तहत यह सभी सरकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी है। "
इसलिए कोर्ट ने स्थानीय निकाय और आईटी विभाग को सुझाव की व्यवहार्यता की जांच करने और अपनी वेबसाइट पर ऐसी जानकारी रखने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है।
हालांकि 16 मार्च की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि पहले के आदेश के बावजूद स्टेटस रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई। यह राय और सुझाव दिया कि "उत्तरदाता शिकायत निवारण तंत्र में पारदर्शिता से बचने की कोशिश कर रहे हैं।”
अदालत ने निर्देशों का पालन न करने के लिए पर कड़ी फटकार लगाते हुए EDMC को 10 दिन के भीतर एक स्टेटस रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया। इसमें कहा गया है, "यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाई गई शिकायतें सार्वजनिक हित में है, सार्वजनिक डोमेन में जानकारी रखने के लिए ये एक गंभीर मामला है। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए हमारे निर्देशों का अनुपालन ना करना उत्तरदायी निगम में भ्रष्टाचार के आरोपों पर बल देता है। हम इसे स्पष्ट करते हैं कि यदि उपर्युक्त अनुपालन में ढिलाई हुई तो हम इस मामले को कड़ी नजर से देख सकते हैं और अधिकारियों को कोर्ट में मौजूद रहने को कह सकते हैं। " इस मामले को अब 17 अप्रैल को सूचीबद्ध किया गया है।