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दिल्ली की एक अदालत ने महिला को ऑस्ट्रेलिया में रह रहे पति को व्हाट्सएप, एसएमएस और ईमेल से सम्मन भेजने की अनुमति दी [आर्डर पढ़े]
![दिल्ली की एक अदालत ने महिला को ऑस्ट्रेलिया में रह रहे पति को व्हाट्सएप, एसएमएस और ईमेल से सम्मन भेजने की अनुमति दी [आर्डर पढ़े] दिल्ली की एक अदालत ने महिला को ऑस्ट्रेलिया में रह रहे पति को व्हाट्सएप, एसएमएस और ईमेल से सम्मन भेजने की अनुमति दी [आर्डर पढ़े]](http://hindi.livelaw.in/wp-content/uploads/2017/08/whatsapp.jpg)
दिल्ली की एक अदालत ने ऑस्ट्रेलिया में रह रहे अपने अलग हुए पति को व्हाट्सएप, एसएमएस और ईमेल द्वारा सम्मन भेजने की अनुमति यह सोचकर दी है कि परंपरागत तरीके से ऐसा करने में काफी समय लग जाएगा और पहले ऐसे दो प्रयास विफल रहे हैं।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रे (महिला अदालत) सुरभि शर्मा वत्स ने शिकायतकर्ता महिला की वकील देबोप्रियो पाल और कुणाल कुमार को उससे अलग हुए पति को व्हाट्सएप, एसएमएस और ईमेल से सम्मन भेजने की इजाजत दे दी है।
पाल ने मजिस्ट्रेट को सुझाव दिया कि अपीलकर्ता के पति को व्हाट्सएप आदि से सम्मन भेजा जाए क्योंकि पिछले आठ माह से उसको सम्मन भेजने की कोशिश सफल नहीं हो पाई है क्योंकि वह व्यक्ति दिल्ली के अपने पिछले ज्ञात पते पर नहीं रह रहा है।
उसके आग्रह को मानते हुए कोर्ट ने आवेदनकर्ता महिला से कहा कि वह एक हलफनामा दायर कर यह बताए कि जिस फ़ोन नंबर पर वह व्हाट्सएप या अन्य तरीके से संदेश भेजना चाहती है वह उसके पति की है और यह सम्मन उसे ही भेजा गया है।
इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने मई 2017 में टाटा संस लिमिटेड एवं अन्य बनाम जॉन डोज मामले में वहाट्सएप, एसएमएस और ईमेल के माध्यम से सम्मन भेजने की अनुमति दी थी।
यह व्यक्ति 2015 में अध्ययन के लिए ऑस्ट्रेलिया चला गया और अपनी घरेलू पत्नी और दो साल की नाबालिग बेटी को यहाँ छोड़ गया। आवेदनकर्ता नोएडा में किराए के एक मकान में अपनी बेटी के साथ रह रही थी और बाद में जब पति ने इस मकान का किराया देना बंद कर दिया तब वह दिल्ली में अपने माँ-बाप के पास आ गई।
कुछ माह के बाद इस व्यक्ति ने आवेदनकर्ता और अपनी पत्नी, बेटी से सारे संपर्क तोड़ लिए और पत्नी द्वारा उससे संपर्क करने के किसी भी तरह के प्रयास का प्रत्युत्तर नहीं दिया।
शिकायतकर्ता पत्नी को अन्य स्रोतों से पता चला कि वह गत वर्ष भारत आया था पर वह अपनी पत्नी और बेटी से मिलने की कोई कोशिश नहीं की।
इसके बाद पत्नी ने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज किया और अपने और बेटी के लिए गुजारा भत्ते की मांग की।
पति को पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मी नगर पते पर भेजा गया सम्मन वापस आ गया और बाद में पता चला कि यह प्रॉपर्टी बेच दी गई है। उसको सम्मन भेजने के सारे प्रयास विफल रहने पर वकीलों ने कोर्ट से इस मामले की निर्धारित तिथि 16 मई से पहले सुनवाई करने का आग्रह किया।
कोर्ट ने आवेदनकर्ता महिला के वकीलों के आग्रह को मानते हुए व्हाट्सएप, एसएमएस और ईमेल के द्वारा सम्मन भेजे जाने पर अपनी सहमति दे दी.
अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 अप्रैल को होगी।