Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

दिल में जन्मजात गड़बड़ी के शिकार बच्चे को सुप्रीम कोर्ट ने एम्स से छुट्टी की अनुमति दी; अस्पताल से माँ-बाप की जिज्ञासा के प्रति संवेदनशील बने रहने को कहा [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
22 March 2018 3:25 PM GMT
दिल में जन्मजात गड़बड़ी के शिकार बच्चे को सुप्रीम कोर्ट ने एम्स से छुट्टी की अनुमति दी; अस्पताल से माँ-बाप की जिज्ञासा के प्रति संवेदनशील बने रहने को कहा [आर्डर पढ़े]
x

सुप्रीम कोर्ट ने दिल की जन्मजात बीमारी से ग्रस्त बच्चे को एम्स (एआईआईएमएस) से छुट्टी देने की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने अस्पताल को आदेश दिया है कि जब भी इस बच्चे के माँ-बाप उसका इलाज करने वाले डॉक्टर से संपर्क करने की कोशिश करें तो उस पर पूरी संवेदनशीलता से गौर किया जाए।

 न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने इस मामले में एक विशेष अनुमति याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।

विजय नामक व्यक्ति के बेटे के दिल के दो में से एक पम्पिंग चैम्बर का ठीक से विकास नहीं हुआ है और एक महत्त्वपूर्ण वाल्व में छेद है। डॉक्टरों के अनुसार, जोखिम भरी सर्जरी के बाद भी इस बच्चे की स्थिति ठीक नहीं हुई है और उसके जीवित रहने की संभावना बहुत सीमित है।

कोर्ट ने एम्स को इस बच्चे को इस आधार पर छुट्टी देने की इजाजत दी कि अस्पताल में हो सकता है कि वह संक्रमण का शिकार हो जाए। उसको यहाँ रखने का वैसे भी कोई अर्थ नहीं है क्योंकि उसके माँ-बाप ने उसके सर्जरी की इजाजत नहीं दी है।

 “…अगर इस बच्चे के माँ-बाप किसी ह्रदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहते हैं तो उस स्थिति के लिए हम एम्स को इस बच्चे को छुट्टी देने की इजाजत देते हैं। अगर इसकी सर्जरी का सुझाव दिया जाता है और बच्चे के माता पिता इसकी अनुमति देते हैं, तो ऐसा एम्स के डॉक्टरों की टीम पूरी मुस्तैदी से करेगी।

दिल्ली हाई कोर्ट के 14 मार्च के आदेश के खिलाफ बच्चे के पिता विजय कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

विजय ने 25 जनवरी को पैदा हुए अपने बेटे के जान को गंभीर ख़तरा बताया और कहा कि उसके बेटे को तीव्र निमोनिया और एट्रीअल सेप्टल डिफेक्ट से ग्रस्त होना बताया गया।

पटपडगंज के मैक्स अस्पताल ने उसका इलाज करने से यह कहते हुए मना कर दिया कि उसके पास इस इलाज की पर्याप्त सुविधा नहीं है। इसके बाद 14 मार्च को उसे एम्स के इमरजेंसी में भर्ती कराया गया पर उसका इलाज नहीं किया गया और सफदरजंग भेज दिया गया। यहाँ भी सिर्फ उसके निमोनिया का इलाज किया गया। इसके बाद विजय ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

5 मार्च को कोर्ट ने एम्स से विजय के बेटे की जांच करने और सभी तरह के इलाज का निर्देश दिया। एम्स के शिशु रोग विभाग ने उसकी जांच शुरू की।

14 मार्च को मामले के सुनवाई के दौरान कोर्ट को एम्स ने बताया कि इस बच्चे को अब छुट्टी दी जा सकती है।

एम्स ने कोर्ट को बच्चे की स्थिति की पूरी जानकारी दी और कहा कि सर्जरी माँ-बाप के साथ विस्तृत विचार विमर्श के बाद किया जाता है।

कोर्ट को एम्स ने यह भी बताया कि उसके दिल की बीमारी के इलाज के बारे में कोई निर्णय ओपीडी के आधार पर किया जाता है और इससे पहले माँ-बाप के साथ सलाह मशविरा की जाती है। एम्स ने कहा कि माँ से इस बारे में बात की गई है पर पिता से बात नहीं हो पाई है।

एम्स ने कहा कि बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दी जा सकती है और उसको अस्पताल में रखना उचित नहीं होगा। पीठ ने बच्चे को ओपीडी में संबंधित डॉक्टरों को दिखाए जाने का निर्देश दिया ताकि उसके आगे के इलाज के बारे में निर्णय लिया जा सके।

अब इस मामले की अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी।


Next Story