केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2016 में संशोधन को हरी झंडी दिखाई

LiveLaw News Network

22 March 2018 2:21 PM GMT

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2016 में संशोधन को हरी झंडी दिखाई

    प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'सरोगेसी  (विनियमन) विधेयक, 2016' में आधिकारिक तौर पर संशोधन करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है।

    सरोगेसी  (विनियमन) विधेयक 2016 द्वारा राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड स्थापित करने और राज्य सरोगेसी बोर्ड व उपयुक्त प्राधिकरणों द्वारा भारत में सरोगेसी  को विनियमित करने का प्रस्ताव है।

     प्रस्तावित कानून सरोगेसी का प्रभावी विनियमन सुनिश्चित करता है,व्यावसायिकसरोगेसी को प्रतिबंधित करता है और जरूरतमंद संतानहीन भारतीय जोड़ों को परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देता है।

     एक बार विधेयक संसद द्वारा अधिनियमित किए जाने पर राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड का गठन किया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना के तीन महीनों के भीतर राज्यों और संघ शासित प्रदेश राज्य सरोगेसी बोर्ड व राज्य उपयुक्त प्राधिकारी का गठन करेंगे।

    गहरा असर: 

    एक बार प्रभाव में आने पर यह कानून देश में सरोगेसी सेवा को विनियमित करेगा और सरोगेसी में अनैतिक प्रथाओं को नियंत्रित करेगा, सरोगेसी के व्यावसायीकरण को रोकने के लिए और सरोगेसी के माध्यम से पैदा होने वाले किराए की माताओं और बच्चों के संभावित शोषण को प्रतिबंधित करेगा।एक ओर व्यावसायिक सरोगेसी मानव भ्रूण और गेमेट्स की बिक्री और खरीद सहित निषिद्ध किया जाएगा, जबकि जरूरतमंद लोगों के लिए नैतिक सरोगेसी को कुछ शर्तों की पूर्ति और विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अनुमति दी जाएगी। सभी संतानहीन भारतीय विवाहित जोड़े,  जो नैतिक सरोगेसी का लाभ लेना चाहते हैं, उन्हें लाभ होगा। इसके अलावा, सरोगेट मां से पैदा होने वाले माता और बच्चों के अधिकार सुरक्षित होंगे। यह कानून जम्मू और कश्मीर राज्य को छोड़कर पूरे भारत में लागू होगा।

    पृष्ठभूमि:

    भारत विभिन्न देशों के जोड़ों के लिए एक सरोगेसी हब के रूप में उभरा है और यहां अनैतिक प्रथाओं, किराए की माताओं का शोषण, मानव भ्रूणों और गेमेटस का आयात करने वाले मध्यस्थों के रैकेट और सरोगेसी से पैदा बच्चों के परित्याग की घटनाएं  सामने आई हैं।

    भारतीय विधि आयोग की 228 वीं रिपोर्ट ने एक उचित कानून द्वारा व्यावसायिक सरोगेसी पर रोक लगाने और नैतिक परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देने की सिफारिश की है। सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2016 को लोकसभा में 21 नवंबर 2016 को पेश किया गया था जिसे 12 जनवरी, 2017 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संबंधी संसदीय स्थायी समिति के लिए भेजा गया था। संसदीय स्थायी समिति ने हितधारकों केंद्रीय सरकार मंत्रालयों / विभागों, गैर सरकारी संगठनों, चिकित्सा पेशेवरों, वकील, शोधकर्ताओं, अभिभावकों और सरोगेट मांओं से चर्चा करने और उनके सुझाव प्राप्त करने के लिए  विभिन्न बैठकों का आयोजन किया। सरोगेसी ( विनियमन) विधेयक, 2016 पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग की संबंधित संसदीय स्थायी समिति की 102 वीं रिपोर्ट राज्य सभा और लोकसभा में 10 अगस्त, 2017 को पेश की गई थी।


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