केंद्र ने दोषी व्यक्तियों को राजनीतिक पार्टी का पदाधिकारी बनने पर प्रतिबंध की याचिका का विरोध किया [शपथ पत्र पढ़ें]

LiveLaw News Network

22 March 2018 4:54 AM GMT

  • केंद्र ने दोषी व्यक्तियों को राजनीतिक पार्टी का पदाधिकारी बनने पर प्रतिबंध की याचिका का विरोध किया [शपथ पत्र पढ़ें]

    केंद्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट कर दिया कि दोषी कानून निर्माताओं या अन्य व्यक्तियों को एक राजनीतिक दल बनाने और उसके पदाधिकारी बनने से रोकने के लिए कानून मेंकोई प्रावधान नहीं है।

    केंद्र सरकार ने उस जनहित याचिका में अदालत के नोटिस के जवाब में यह दावा किया है जिसमें दोषी व्यक्तियों पर राजनीतिक दल बनाने और उसके पदाधिकारी बनने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।

    इससे पहले अदालत ने केंद्र को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि वह जांच करेगा कि क्या चुनाव आयोग ऐसे राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द कर सकता है जो दोषी व्यक्तियों के नेतृत्व में हैं।

    वर्तमान में चुनाव आयोग के पास केवल राजनैतिक पार्टी को पंजीकृत करने की शक्ति है  लेकिन विभिन्न कारणों से उसके पास किसी पार्टी का पंजीकरण रद्द करने का अधिकार नहीं दिया गया है।

     याचिकाकर्ता बीजेपी के और नेता वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने लालू प्रसाद यादव, ओ.पी. चौटाला और शशिकला के उदाहरणों का हवाला दिया, जिन्हें बड़े घोटाले के लिए दोषी ठहराया गया है, लेकिन अभी भी वो उच्च राजनीतिक  पद धारण कर रहे हैं। इसी तरह, सुरेश कलमाड़ी, ए राजा, जगन मोहन रेड्डी, मधु कोडा, अशोक चव्हाण, अकबरूद्दीन ओवैसी, कनिमोझी, मुलायम सिंह, मायावती और कई अन्य लोगों के खिलाफ गंभीर मामलों में आरोप लगाए गए हैं, जो दलों में शीर्ष पदों पर हैं।

    बेंच ने प्रतिक्रिया मांगते हुए कहा था कि यह लोक जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपीए) की धारा 29 (ए) की जांच करेगा कि क्या एक दोषी  व्यक्ति द्वारा गठित राजनीतिक दल की मान्यता रद्द करने के लिए चुनाव आयोग को अधिकार दिया गया है या नहीं। वह इस मामले की भी जांच करेगा कि दोषी व्यक्ति को पार्टी का पदाधिकारी बनने से रोका जा सकता है ?

    याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार ने कहा है कि अपराधी व्यक्ति कानून के तहत चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं और आरपी अधिनियम की धारा 62 के तहत मतदान करने का अधिकार भी जब्त हो जाता है। हालांकि वे राजनीतिक दल बनाने और राजनीतिक दल के नाम पर जनता से चंदा जमा कर सकते हैं।

     केंद्र ने कहा है कि वर्तमान में आपराधिक मुकदमे में दोषी ठहराए जाने पर चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य व्यक्तियों को राजनीतिक दल बनाने या पदाधिकारी बनने वाली स्थितियों के बीच कोई गठजोड़ नहीं है।

    यह अपने नेता का चयन करने के लिए राजनीतिक दल की स्वायत्तता का मामला है और चुनाव आयोग को सिर्फ इस वजह से किसी राजनीतिक दल को पंजीकृत करने से रोकना संभव नहीं हो सकता कि एक विशेष पद धारक चुनाव लड़ने के योग्य नहीं हैं।

     अधिनियम की धारा 29 के तहत चुनाव आयोग के पास नेता की अयोग्यता पर एक राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द करने या रद्द करने का अधिकार नहीं है। केंद्र ने कहा कि वह देश में चुनावी सुधारों की आवश्यकता के प्रति जागरूक है। हालांकि चुनाव सुधार एक जटिल, निरंतर, लंबे समय से तैयार और व्यापक प्रक्रिया है, जिसमें राजनैतिक दलों समेत हितधारकों के साथ वार्ता के माध्यम से इस मुद्दे को संबोधित किया जा रहा है। चुनावी सुधारों पर कानून आयोग की रिपोर्ट सरकार के विचार में है।

    केंद्र ने जनहित याचिका को खारिज करने की मांग की है।


     
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