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अलग-अलग आए थे,एक होकर गए : SC ने मध्यस्थ वकील गरिमा प्रसाद के प्रति आभार जताया जिन्होंने अलग रहे रहे पति- पत्नी का खुशहाल विवाहित जीवन फिर से लौटाया [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
21 March 2018 11:45 AM GMT
अलग-अलग आए थे,एक होकर गए : SC ने मध्यस्थ वकील गरिमा प्रसाद के प्रति आभार जताया जिन्होंने अलग रहे रहे पति- पत्नी का खुशहाल विवाहित जीवन फिर से लौटाया [आर्डर पढ़े]
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पारिवारिक न्यायालयों को देश में इसलिए स्थापित किया गया है ताकि वे 'विवाह और परिवार के मामलों से संबंधित विवादों के निपटारे में तेजी लाने और सुरक्षित निपटारे को बढ़ावा दे सकें।'

 सुप्रीम कोर्ट ने कई बार यह दिखाया है कि वह सिर्फ जटिल कानूनों की व्याख्या के लिए नहीं है, बल्कि उन जोड़ों को याद दिलाने के लिए भी है, जो अपने वकीलों के माध्यम से कानून की लड़ाई लड़ते हैं कि वो एक-दूसरे से बात करके विवाद को खत्म कर सकते हैं।

इस मामले में एक महिला ने पति द्वारा राजस्थान की फैमिली कोर्ट में दाखिल तलाक के मामले को ट्रांसफर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

 न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुरू में दोनों मध्यस्थता और सुलह केंद्र, गुरुग्राम के लिए निर्देशित किया था  लेकिन ये मध्यस्थता नाकाम रही, क्योंकि पति ने इसमें भाग नहीं लिया।

 इसके बाद पीठ ने दोनों पक्षों को अगली तारीख पर उपस्थित होने के निर्देश दिए। अगली सुनवाई के दौरान पीठ ने वकील गरिमा प्रसाद को पक्षकारों के  साथ सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मध्यस्थ के रूप में नियुक्त किया। उन्होंने दोनों के साथ लगभग तीन घंटे लंबी चर्चा की।

हैरानी की बात है कि मध्यस्थ के साथ उनकी बातचीत के बाद दंपति ने अगले दिन बेंच से कहा कि वे एक साथ रहना पसंद करेंगे और अपने बच्चे के साथ पुणे जाएंगे।

 उन्होंने अदालत से कहा कि वे अतीत को भूल जाएंगे और एक-दूसरे को माफ करेंगे व अब खुशहाल विवाहित जीवन बिताएंगे।

पति ने अदालत से अनुरोध किया कि उसके तलाक के मामले को खारिज कर दिया जाए , जबकि पत्नी ने कहा कि वह पति के खिलाफ आपराधिक मामलों को आगे नहीं बढाएगी।

 बेंच ने अपने आदेश में कहा: "हम इस मामले में मध्यस्थ गरिमा प्रसाद द्वारा निभाई गई उत्कृष्ट भूमिका के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कल और आजदोनों पक्षों के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने और उनकी सहायता करने के लिए काफी समय बिताया और उनकी मदद से दोनों  पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर पहुंचे।"

पीठ ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की लीगल सर्विसेज कमेटी मध्यस्थ वकील गरिमा प्रसाद को उनके द्वारा दी गई सेवाओं  के लिए 10,000 रुपये का मानदेय देगी।


 
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