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“विशेष प्रदर्शन का आदेश आवश्यक रूप से अदालत देगा”– जानिए क्या हैं विशिष्ट राहत संशोधन विधेयक के तहत प्रस्तावित परिवर्तन [बिल पढ़ें]

LiveLaw News Network
19 March 2018 3:54 PM GMT
“विशेष प्रदर्शन का आदेश आवश्यक रूप से अदालत देगा”– जानिए क्या हैं विशिष्ट राहत संशोधन विधेयक के तहत प्रस्तावित परिवर्तन [बिल पढ़ें]
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लोकसभा ने हाल ही में विशेष राहत (संशोधन) विधेयक, 2018 पास किया है। इसके तहत स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट, 1963 में महत्त्वपूर्ण बदलाव लाए गए हैं।

इस संशोधन की विशेषताओं में एक महत्त्वपूर्ण है विशिष्ट प्रदर्शन कार्य के बंटवारे का जो कि अदालतों से ले लिए गए हैं। इस विधेयक की धारा 10 के मुताबिक़ कोर्ट इस तरह के कार्यों को लागू करा सकता है। व्यापक विवेकाधीन शक्तियाँ होने के कारण अदालत अक्सर आम नियमों के रूप में मुआवजे दिलाता है और अपवाद के रूप में विशिष्ट प्रदर्शन।

जो संशोधन अब प्रस्तावित किया गया है उसके अनुसार अब इसको कोर्ट लागू करा सकता है। धारा 11 के तहत ट्रस्टों के संदर्भ में कोर्ट को मिले विशिष्ट अधिकार भी ले लिए जाने का प्रस्ताव है और इसलिए इसे ट्रस्ट के लिए भी आवशक बना दिया जाएगा। इस विधेयक की धारा 20 को बदलने का भी प्रस्ताव है।

इस विधेयक की अन्य महत्त्वपूर्ण विशेषताएं इस तरह से हैं -

प्रतिस्थापित प्रदर्शन

इस संशोधन द्वारा “प्रतिस्थापित प्रदर्शन” की परिकल्पना लागू की गई है। इसके हिसाब से, अगर कोई पक्ष करार के टूटने से घाटे में है तो वह किसी तीसरे पक्ष से इस काम को पूरा करवा सकता है या फिर अपनी ही एजेंसी से गलती करने वाले पक्ष की कीमत पर ये काम करवा सकता है। प्रभावित पक्ष को 30 दिन का नोटिस दूसरे पक्ष को देना होगा कि वह किसी और से काम करवाना चाहता है। इस परिकल्पना को धारा 20 के बदले इसमें लाना होगा।

करार के तहत दायित्व पूरा करने की जल्दबाजी या इच्छा दिखाने की जरूरत नहीं

अधिनियम की धारा 16(c) के अनुसार पक्ष को यह साबित करना होगा कि उसने प्रदर्शन किया है और वह हमेशा से ही इसको पूरा करने का इच्छुक रहा है जिसे उसे करना है।

अदालतें इस अधिनियम की धारा 16(c) के प्रति काफी सख्त रही हैं। न्यायिक निर्णयों का यह कहना रहा है कि अधिनियम की धारा 16(c) खोखली औपचारिकता भर नहीं है और इसको पूरा करने की तैयारी और इच्छा काम मिलने के समय से ही होनी चाहिए। कई मामले सिर्फ इसीलिए न्यायालय में नहीं टिक पाए क्योंकि वाद में इस तरह की याचना नहीं की जा सकी।

बुनियादी परियोजनाएं

संशोधन में बुनियादी परियोजना नाम से एक विशेष श्रेणी बनाई गई है। इसमें एक नया अनुच्छेद डाला गया है। नए अनुच्छेद में संशोधन के अनुसार गतिविधियों की एक सूची डाली गई है जिसे बुनियादी परियोजना कहा जाएगा। इस तरह की गतिविधियाँ परिवहन, ऊर्जा, जल और स्वच्छता, संचार और सामाजिक वाणिज्यिक बुनियादी क्षेत्र की हैं।

बुनियादी परियोजनाओं के खिलाफ किसी निषेधाज्ञा की अनुमति नहीं दी जाएगी

धारा 20A के तहत एक संशोधन करने का प्रस्ताव है जिसके तहत बुनियादी परियोनाओं के खिलाफ किसी भी तरह की निषेधाज्ञा पर प्रतिबन्ध लगाएगा।

बुनियादी परियोजनाओं के लिए विशेष अदालत

बुनियादी परियोजनाओं के खिलाफ किसी भी तरह के मामलों के निपटारे के लिए विशेष अदालत के गठन का प्रावधान किया गया है।

मामले को 12 महीनों के अंदर निपटाने का प्रावधान

संशोधन में बुनियादी परियोजनाओं के खिलाफ शिकायतों को 12 महीनों की समय सीमा के भीतर निपटाने का प्रावधान है।

अदालतों को विशेषज्ञों की सेवा लेने का अधिकार

नई प्रस्तावित धारा 14A कोर्ट को अधिकार देता है कि वह बाहर के विशेषज्ञों की सेवाएं ले सकता है।

इस विधेयक को लोकसभा ने 15 मार्च 2018 को पास किया और राज्यसभा से अभी पास किया जाना है।


 
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