गोरखालैंड : सुप्रीम कोर्ट ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) नेता बिमल गुरंग की SIT जांच की याचिका खारिज़ की
LiveLaw News Network
16 March 2018 8:59 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के नेता बिमल गुरंग की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने अपने मामलों को सीबीआई या एनआईए को स्थानांतरित करने की मांग की थी।
अब गुरंग को पश्चिम बंगाल पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करना होगा या पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर सकती है।
दरअसल गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के नेता बिमल गुरंग ने ममता सरकार पर आरोप लगाया था कि राज्य जीजेएम सदस्यों के खिलाफ "पक्षपाती तरीके से" चल रहा है और इस वजह से दार्जिलिंग में "निरंतर भय" का माहौल है। इसलिए उनके मामलों की सीबीआई या एनआईए द्वारा स्वतंत्र जांच कराई जानी चाहिए। वहीं राज्य ने कहा था कि गुरंग फरार है और उनके खिलाफ दर्ज मामलों की जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। वो "निर्लज्ज राजनीति" खेल रहे हैं। पुलिस ने दावा किया कि गुरंग 23 मामलों में ट्रायल का सामना कर रहे हैं और उनके खिलाफ कई अन्य आपराधिक मामले दर्ज कराए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर में पश्चिम बंगाल पुलिस को निर्देश दिया था कि वो गुरंग के खिलाफ कोई दंडनीय कदम न उठाए।
सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि आरोपी ये कहकर जांच को चुनौती नहीं दे सकता कि इससे क्षेत्र में तनाव बढेगा।
याचिका का विरोध करते हुए सिंघवी ने कहा था कि दंगाई भीड को खुली छूट दी गई तो लोकतंत्र बचा नहीं रह सकता। राज्य को शक्ति क्यों सौंपी जाती है? इसलिए क्योंकि सामाजिक करार राज्य को नागरिकों की सुरक्षा का जिम्मा सौंपता है।
इससे पहले गुरंग के वकील पी एस पटवालिया ने जस्टिस ए के सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच में कहा था कि जांच पर आरोपी और लोगों को भरोसा होना चाहिए।
उन्होंने कहा था कि अलग राज्य की सोच 1900 से चल रही है। ऐसे में दमनकारी नीति कोई उत्तर नहीं है। राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि गुरंग पर एक जैसी कई FIR दर्ज की गई हैं जिससे तनाव और बढेगा। सरकार क्यों उनकी सही जांच के लिए स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम ( SIT) बनाने की मांग का विरोध कर रही है ? उनकी जांच से तो सही को गलत बनाया जाएगा जिससे सरकार पर भरोसा और टूटेगा। इससे पहले कोर्ट ने राज्य सरकार को गुरंग के खिलाफ किसी कडी कार्रवाई करने से रोक दिया था।