पीएनबी घोटाला: PIL याचिकाकर्ता ने AG पर गलत ब्रीफिंग का आरोप लगाया, गुस्साए CJI ने सुनवाई टाली [कोर्टरूम बहस पढ़ें]

LiveLaw News Network

16 March 2018 2:16 PM GMT

  • पीएनबी घोटाला: PIL याचिकाकर्ता ने AG पर  गलत ब्रीफिंग का आरोप लगाया, गुस्साए CJI ने सुनवाई टाली  [कोर्टरूम बहस पढ़ें]

    हम एक वकील से नहीं पूछते कि उसने अपना ब्रीफ पढ़ा है ? यहाँ आप हमें AG से पूछने के लिए कह रहे हैं कि क्या उन्होंने अपना ब्रीफ पढ़ा है?  यह कैसी भाषा है? शिष्टाचार बनाए  रखो. आपको केवल यही कहना चाहिए था कि ये मेरी प्रार्थना नहीं है |

    सुनवाई में हाई ड्रामे के बीच मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने पीएनबी घोटाले की एसआईटी जांच और मोदी को वापस लाने के लिए तत्काल कदम कदम उठाने की  जनहित याचिका की सुनवाई 9 अप्रैल तक टाल दी जब याचिकाकर्ता के वकील ने आरोप लगाया कि अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल गलत ब्रीफ  पढ़ रहे हैं।

    दरअसल बेंच ने AG से सीलबंद कवर में  जांच की स्थिति की रिपोर्ट मांगी थी और उसी वक्त जब बेंच और वकील जे पी ढांडा के बीच तीखी बहस हुई। ढांडा मुंबई के वकील और अपने बेटे विनीत ढांडा के लिए पेश हुए।

    कोर्ट रूम बहस पढ़ें 

     शुरुआत में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा  कि उन्होंने सुनवाई की अंतिम तारीख में याचिका के सुनवाई योग्य होने का मुद्दा उठाया था क्योंकि जांच अभी भी चल रही है। वेणुगोपाल ने कहा कि इस मामले में 19 लोग गिरफ्तार किए गए हैं जिनमें से 8 सरकारी कर्मचारी हैं व शेष निजी व्यक्ति हैं।

    तब CJI  मिश्रा ने पूछा, "आप सीलबंद कवर में एक रिपोर्ट क्यों दाखिल नहीं करते ?

    वेणुगोपाल ने जवाब दिया: "जब निजी पार्टियां इस तरह अदालत में आती हैं तो इसका औचित्य क्या है ... यह एक अभ्यास बन गया है ... जांच शुरू होने से पहले अदालतों में आ रही है..यहाँ एक समानांतर निगरानी नहीं हो सकती .. यह जांचकर्ताओं के मनोबल को प्रभावित करता है  "

    CJI मिश्रा: लेकिन आप सीलबंद कवर में क्यों नहीं बता सकते कि क्या किया गया है?

     AG वेणुगोपाल: "कोई औचित्य नहीं है .. जब तक हमने कुछ गलत नहीं किया,  आपका हस्तक्षेप नहीं हो सकता .. इसका बहुत बड़ा सार्वजनिक प्रभाव होगा।”

    याचिकाकर्ता वकील विनीत ढांडा के लिए उपस्थित वकील  जेपी ढांडा उठते हैं ( AG के लिए कहते हैं। "पिछली बार उन्होंने दूसरी याचिका को पढ़ा था। उन्होंने गलत बयान दिया था ( वकील एमएल शर्मा ने भी पीएनबी घोटाले पर जनहित याचिका दायर की है )

     जस्टिस खानविलकर ने ढांडा से कहा, "आप कैसे मानते हैं कि एजी ने आपकी याचिका नहीं पढ़ी है?"

     ढांडा: कृपया उनसे पूछिए।

    CJI मिश्रा:हम एक वकील से नहीं पूछते कि उसने अपना ब्रीफ पढ़ा है ? यहाँ आप हमें AG से पूछने के लिए कह रहे हैं कि क्या उन्होंने अपना ब्रीफ पढ़ा है?  यह कैसी भाषा है? शिष्टाचार बनाए  रखो. आपको केवल यही कहना चाहिए था कि ये मेरी प्रार्थना नहीं है। आज हम मामले की सुनवाई नहीं कर रहे हैं इसे 9 अप्रैल तक टाला जाता है। ये क्या हो रहा है?

     जस्टिस खानविलकर ने ढांडा से कहा : सिर्फ इसलिए कि आपको एक जनहित याचिका दायर करने की अनुमति है इसका मतलब यह नहीं है कि आप कुछ भी कह सकते हैं।

    अंतिम सुनवाई में भी हाई वोल्टेज सुनवाई 

    21 फरवरी को भी नीरव मोदी-PNB मामले में सुप्रीम कोर्ट में हाई वोल्टेज सुनवाई देखने को मिली थी। हालांकि केंद्र सरकार ने इस मामले में दाखिल याचिका का विरोध किया और सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई  टाल दी थी।

     मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड की बेंच के सामने जैसे ही ये मामला आया, अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि वो इस याचिका का विरोध कर रहे हैं। एजेंसिया मामले की जांच कर रही हैं और कुछ गिरफ्तारियां भी की गई हैं। बेंच ने कहा कि इस मामले में बाद में सुनवाई करेंगे।

    लेकिन याचिकाकर्ता विनीत ढांडा ने कहा कि कोर्ट ने कोई नोटिस आदि जारी नहीं किया है तो AG कैसे बीच में बोल सकते हैं ?

    चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने इसका जवाब दिया कि वो खुद आए हैं और क्या कोर्ट उनका पक्ष सुनने से इंकार कर सकता है ? किसी भी देश में ऐसा नहीं होता।

    लेकिन ढांडा अपनी बात पर अडे रहे, कहा ये गंभीर मामला है और 11400 करोड की बात है। देश के किसान लोन को लेकर परेशान हैं और कोई इतना लोन लेकर देश छोड गया।

    इसका जवाब न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड ने दिया, “ ये पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटीगेशन लगती है। ये आजकल फैशन बन गया है। मीडिया में खबर आती है तो अगले ही दिन कोर्ट में याचिका दाखिल हो जाती है। ये दुरुपयोग है।”

    लेकिन ढांडा ने कहा कि ये पब्लिसिटी इंटरेस्ट नहीं है। लोगों की भावनाएं इससे जुडी हुई हैं।

    ये अपमानजनक बात है।

    लेकिन न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि ऐसे मामलों में कोर्ट को सरकार को जांच करने का वक्त देना चाहिए। याचिका की पहली प्रार्थना भी जांच की बात कह रही है।

    फिर चीफ जस्टिस ने कहा, “ अदालत भाषण से प्रभावित नहीं होती। भावना नहीं कानून का कोई मुद्दा होना चाहिए।”

     बेंच ने कहा कि इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा जाएगा और अब मामले की सुनवाई 16 मार्च को होगी। AG बताएंगे कि वो इसका विरोध क्यों कर रहे हैं।

    दरअसल नीरव मोदी- पीएनबी में 11400 करोड रुपये की  धोखाधड़ी को लेकर दो जनहित याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं। इनमें अदालत की निगरानी में  एसआईटी जांच की मांग की गई है। वकीलों द्वारा दाखिल याचिकाओं में दस करोड रुपये से ज्यादा के लोन पर गाइडलाइन जारी करने को कहा गया है और नीरव मोदी का जल्द प्रत्यार्पण किए जाने की मांग की गई है। पहली याचिका वकील विनीत ढांडा ने दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि इस मामले में पंजाब नेशनल बैंक के वरिष्ठ अफसरों के खिलाफ FIR दर्ज कर कारवाई की जाए। केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि नीरव मोदी का जल्द प्रत्यार्पण किया जाए। दस करोड रुपये से ऊपर के बैंक लोन के लिए गाइडलाइन बनाई जाए। जो लोग लोन डिफाल्टर हैं उनकी संपत्ति तुरंत जब्त करने जैसे नियम बनाए जाएं। याचिका में मांग की गई है कि एक एक्सपर्ट पैनल का गठन हो जो बैंकों द्वारा 500 करोड व ज्यादा के लोन का अध्ययन कर इसे सावर्जनकि किया जाए। विजय माल्या, ललित मोदी आदि का हवाला देते हुए याचिका में ये भी कहा गया है कि बडे लोगों को राजनीतिक लोगों का सरंक्षण प्राप्त होता है इसलिए  वो पकड में नहीं आते। याचिका में कहा गया है कि इस तरह के घोटालों ने देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है |

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