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उधारी का व्यवसाय : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सुरक्षित जमा राशि पर ब्याज नहीं देना असंवैधानिक नहीं [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network
16 March 2018 1:47 PM GMT
उधारी का व्यवसाय : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सुरक्षित जमा राशि पर ब्याज नहीं देना असंवैधानिक नहीं [निर्णय पढ़ें]
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सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक राज्य बनाम कर्नाटक पॉउन ब्रोकर्स एसोसिएशन मामले में अपने फैसले में कहा कि कर्नाटक मनी लेंडर्स एक्ट, 1961 और कर्नाटक पॉउन ब्रोकर्स एक्ट, 1961 के तहत सिक्यूरिटी डिपोजिट पर ब्याज नहीं देने का प्रावधान मनमाना और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं है।

न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि इसके बारे में संशोधनों को 1985 से लागू करना गैरकानूनी और गलत है।

उपरोक्त अधिनियमों की धारा 7A और धारा 4A (जिसे 1989 में हुए संशोधन द्वारा जोड़ा गया) के अनुसार सिक्यूरिटी डिपोजिट पर कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा। पॉउन ब्रोकर्स  की रिट याचिका पर कर्नाटक हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने कहा कि सिक्यूरिटी डिपोजिट पर ब्याज नहीं देना संवैधानिक रूप से खराब है और इसलिए इसे निरस्त कर दिया गया। खंड पीठ ने अपने इस फैसले के लिए मानकचंद मोतीलाल के मामले में दिए गए फैसले पर भरोसा किया। इस मामले में कहा गया था कि पैसे उधार देने वाले पॉउन ब्रोकर्स डिपोजिट राशि पर ब्याज का हकदार है और यह फैसला अंतिम था क्योंकि इसके खिलाफ विशेष अनुमति याचिका खारिज कर गई थी।

अब पिछले प्रभाव से इस संशोधन को लागू करने के बारे में पीठ ने कहा, “राज्य ऐसा करके इस बारे में परमादेश को प्रतिवादियों के पक्ष में निष्फल करने की कोशिश की है...यह शक्ति के बंटवारे के सिद्धांत के खिलाफ होगा।”

“पैसे उधार देने वाला या पॉउन ब्रोकर यह व्यवसाय करने के लिए जब लाइसेंस के लिए आवेदन करता है तो उसको पता होता है सिक्यूरिटी डिपोजिट पर उसको ब्याज नहीं मिलेगा। वह यह सब जानते हुए इसे स्वीकार करता है जो कि अधिनियम का हिस्सा है। कोई किसी को यह व्यवसाय करने के लिए बाध्य नहीं करता। इसलिए इस प्रावधान को अनर्गल नहीं कहा जा सकता”, पीठ ने कहा।

कोर्ट ने आगे कहा कि बैंक चालू खाते पर कोई ब्याज नहीं देता और किसी व्यक्ति का पैसा उसके खाते में 3-4 साल तक पड़ा रहता है, कोई यह नहीं कह सकता कि उसे इस पैसे पर ब्याज मिलना चाहिए क्योंकि बैंक ने जरूर इस पैसे का वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए प्रयोग किया होगा। ऐसे कई उदाहरण हैं जब स्कूल, शैक्षणिक संस्थान, क्लब, सोसाइटी आदि डिपोजिट रखने को कहते हैं जो कि बाद में वापस किया जाता है पर इन पर कोई ब्याज नहीं देय होता।


 
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