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सेतुसमुद्रम परियोजना को कार्यान्वित करने के लिए राम सेतु को नहीं छेड़ा जाएगा, केंद्र ने SC को बताया [शपथ पत्र पढ़ें]

LiveLaw News Network
16 March 2018 11:57 AM GMT
सेतुसमुद्रम परियोजना को कार्यान्वित करने के लिए राम सेतु को नहीं छेड़ा जाएगा, केंद्र ने SC को बताया [शपथ पत्र पढ़ें]
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केंद्र ने शुक्रवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ को बताया कि यह भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों के बीच नेविगेशन की सुविधा के लिए शुरू की गई सेतु समुद्रम शिप चैनल परियोजना के कार्यान्वयन के लिए पौराणिक राम सेतु को नहीं छूएगा। जहाजरानी के केन्द्रीय मंत्रालय के लिए उपस्थित  अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) पिंकी आनंद ने इस मामले में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड के समक्ष  मामले का उल्लेख किया। उन्होंने  बेंच को बताया कि "राष्ट्र हित में" सरकार राम सेतु को नहीं छूना चाहती बल्कि उसने राम सेतु को प्रभावित किए बिना सेतुसमुद्रम शिप चैनल प्रोजेक्ट के पहले संरेखण के विकल्प का पता लगाने का फैसला किया है। उन्होंने पीठ ने भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की दायर याचिका का निपटारा करने के लिए अर्जी दाखिल की जो अदालत में उपस्थित थे।

 पौराणिक राम सेतु जो दक्षिण-पूर्वी तमिलनाडु के तट पर एक पुल जो चूना पत्थर शॉल की श्रृंखला है, की रक्षा करने के लिए अपने हलफनामे में सरकार ने कहा: "संरेखण संख्या 6 के सामाजिक-आर्थिक नुकसान को देखते हुए  भारत सरकार ने कहा है कि वो संरेखण को लागू नहीं करना चाहता।  मंत्रालय द्वारा दायर शपथ पत्र में कहा गया है, "भारत सरकार आदम पुल / राम सेतु में राष्ट्र हितों को प्रभावित करने / नुकसान पहुंचाए बिना सेतुसमुद्रम शिप चैनल प्रोजेक्ट के पहले संरेखण के विकल्प का पता लगाने का इरादा रखती है।"

 इसमें  22 फरवरी, 2013 और 11 सितंबर, 2013 को यूपीए सरकार द्वारा दायर पहले हलफनामे का संदर्भ भी दिया  जिसमें बताया गया था कि परियोजना के फायदे को देखते हुए भारत सरकार का परियोजना पर कार्यान्वयन करने का इरादा है ।

इसके तुरंत बाद, स्वामी ने ट्विटर पर लिखा: "आज सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा कि राम सेतु को छुआ नहीं जाएगा। आखिरकार 20 साल बाद मेरे केस में 2006 के डब्ल्यूपी नंबर 26 और 27 में सूचीबद्ध किया गया। मैं जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में आगे बढ़ रहा हूं ताकि हमारी सरकार राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित कर सके।”

पिछले साल नवंबर में याचिकाकर्ता स्वामी ने अपनी याचिका वापस लेने के लिए अदालत की अनुमति मांगी थी, जिसमें कहा गया कि सरकार ने अदालत के बाहर अपने फैसले को स्पष्ट कर दिया है कि 'पुल' के साथ छेड़छाड़ करने का कोई इरादा नहीं है, जो तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट पर चूना पत्थर शॉल की श्रृंखला है। हालांकि बेंच ने उन्हें कहा था कि जब तक एनडीए सरकार अपना रुख स्पष्ट नहीं करेगी तब तक इंतजार करें। सेतुसमुद्रम शिपिंग चैनल प्रोजेक्ट को लेकर कुछ राजनीतिक दलों, पर्यावरणविदों और कुछ हिंदू धार्मिक समूहों ने विरोध प्रदर्शन किया है। राम सेतु चूना पत्थर के झरने की एक खिंचाव है जोकि भारत में रामेश्वरम के पास पाम्बन द्वीप और श्रीलंका के उत्तरी तट के दक्षिण मन्नार द्वीप में स्थित है।

सेतुसमुद्रम परियोजना के अंतर्गत एक 83 किमी लंबे चैनल का निर्माण किया जाना है जिसे मन्नार को पाल्क स्ट्रेट के साथ जोड़ा जाना है और इसके लिए पौराणिक सेतु के चूना पत्थर के शॉल को हटाया जाने की योजना थी।


 
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