दावे को सुलझाने के लिए किसी तीसरे पक्ष के चार्टर्ड जहाज को कब्जे में नहीं लिया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
LiveLaw News Network
15 March 2018 5:48 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी जहाज के खिलाफ समुद्री दावे को पूरा करने के लिए न्यायालयीय आदेश से ऐसे जहाज के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती जो किसी तीसरे पक्ष का है।
न्यामूर्ति जे चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति एसके कौल की पीठ ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई करते हुए उक्त बातें कही। हाई कोर्ट ने अपीलकर्ता की इस अपील पर गौर नहीं किया था जिसके तहत उसने समुद्री दावे सुलझाने के लिए जियोवेव कमांडर नामक जहाज को कब्जे में लेने की अपील की थी।
जिओवेव कमांडर को रिफ्लेक्ट जियोफिजिकल पीटीई लिमिटेड ने किराए पर लिया था ताकि वह गुजरात समुद्र तट से दूर ओखा बन्दर के पास 2012 में भूकंपीय सर्वेक्षण कर सके। इस कार्य का आदेश उसे ओएनजीसी ने एक निविदा के माध्यम से दिया था।
रिफ्लेक्ट जियोफिजिकल ने मै. सुनील बी नाइक के साथ 30 अक्टूबर 2012 को मछली पकड़ने के लिए 24 ट्रोलर की आपूर्ति के लिए एक समझौता किया था ताकि उसको सर्वेक्षण में इससे मदद मिल सके।
इसी तरह, युसूफ अब्दुल गनी ने भी उसे “ओरियन लक्ष्मी” नामक जहाज किराए पर देना स्वीकार कर लिया था। जब सुनील नाइक और यूसुफ़ गनी को रिफ्लेक्ट जियोफिजिकल से उनका भुगतान नहीं मिला तो उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और जिओवेव कमांडर को अपने कब्जे में ले लिया। बॉम्बे हाई कोर्ट ने यह कहते हुए इस जहाज पर कब्जे को अस्वीकार कर दिया कि इसका मालिक रिफ्लेक्ट जियोफिजिकल नहीं है और इसलिए रिफ्लेक्ट जियोफिजिकल के खिलाफ दावे की प्राप्ति के लिए इस जहाज को कब्जे में नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाने के लिए एमवी एलिजबेथ और अन्य बनाम हरवन इन्वेस्मेंट एंड ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड एआईआर 1993 एससी 1014 मामले का सहारा लिया। कोर्ट ने कहा कि चूंकि दावा रिफ्लेक्ट जिओफिजिकल के खिलाफ है न कि जिओवेव कमांडर के मालिक के खिलाफ, इसलिए रिफ्लेक्ट जिओफिजिकल के खिलाफ दावे को सुलझाने के लिए इसको कब्जे में नहीं लिया जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि आवेदनकर्ता ने कब्जे का आदेश प्राप्त करने के लिए “लाभदायक स्वामित्व” के आधार का प्रयोग नहीं कर सकता। यूके में मेडवे ड्राईडॉक एंड इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड बनाम एमवी एंड्रिया उर्सुला [1973] QB 265 नामक मामले के फैसले में कहा गया था, “एक जहाज पर किसी ऐसे व्यक्ति का स्वामित्व हो सकता है जो कि हो सकता है कि उसका कानूनी या बराबर का स्वामी न हो, पर इस जहाज पर उसका कानूनी कब्जा और नियंत्रण है और इस कब्जे की वजह से उसको वही अधिकार है जो उसके कानूनी मालिक को”।
पर कोर्ट ने इस मुकदमे के फैसले को नहीं माना।
कोर्ट ने कहा कि सिर्फ किसी के कब्जे में किसी के जहाज का होने का मतलब यह नहीं है कि वह उसका मालिक है।