Begin typing your search above and press return to search.
ताजा खबरें

रफाल जेट समझौता : कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला इस समझौते की लागत के खुलासे के लिए सुप्रीम कोर्ट गए

LiveLaw News Network
15 March 2018 6:58 AM GMT
रफाल जेट समझौता : कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला इस समझौते की लागत के खुलासे के लिए सुप्रीम कोर्ट गए
x

कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला ने 2016 में फ़्रांस से 36 रफाल युद्धक विमानों की खरीद के लिए हुए समझौते की राशि का पता लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। यूपीए शासन के दौरान 2007 में इन विमानों की खरीद की प्रक्रिया शुरू हुई और डिफेन्स एक्वीजीशन काउंसिल के अध्यक्ष तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने उस वर्ष अगस्त में 126 विमानों की खरीद को हरी झंडी दी थी।

भारत सरकार और फ़्रांस के बीच 36 रफाल विमानों की खरीद के लिए फ़्रांस की कंपनी दस्सौल्ट से समझौता हुआ है। इस समझौते के बारे में पूनावाला ने कहा कि इसकी प्रक्रिया 2007 में शुरू हुई। जब इसकी खरीद के लिए निविदा खोली गई तो विभिन्न विमानन कंपनियों को इसमें भाग लेने को कहा गया। इसके बाद 2012 में 126 युद्धक विमानों को खरीदने का प्रस्ताव दिया गया। कहा यह गया था कि 126 में से ऐसे 18 युद्धक विमान दिए जाएंगे जो उड़ने की स्थिति में होंगे जबकि 108 विमान भारत में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) में बनाए जाएंगे। इस बात पर भी सहमति हुई थी कि दस्सौल्ट विमान खरीद समझौते की 50 फीसदी राशि फ़्रांस भारत में निवेश करेगा और इस बारे में समझौते पर हस्ताक्षर भी हुए। 2014 में यह समझौता लगभग पूरा हो चुका था।

हालांकि 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फ़्रांस गए और घोषणा की कि भारत फ़्रांस से 36 विमान जो कि उड़ने की स्थिति में होगा, खरीदा जाएगा। इसके शीघ्र बाद, रक्षा मंत्री ने घोषणा की कि इससे पहले इस विमान की खरीद का जो समझौता हुआ था वह “प्रभावी रूप से मृत” हो गया और भारत ने 126 विमानों के इस पूर्व समझौते को वापस ले लिया।

इस याचिका में अब कहा गया है कि यह रक्षा मंत्रालय का दायित्व है कि वह संसद को यह बताए कि फ़्रांस से रफाल खरीद के इस समझौते की कीमत क्या है। यह इन आरोपों के आलोक में और भी जरूरी हो गया है कि भारत सरकार ने यह समझौता 12,000 करोड़ रुपए में किया है और हर जेट भारत को 351 करोड़ रुपए में बेचा गया है जबकि इस कंपनी ने यही विमान 11 महीने पहले इससे काफी कम कीमत पर क़तर और मिस्र को बेचा है।

याचिकाकर्ता ने कहा है, “36 रफाल युद्धक विमानों की खरीद देश की सुरक्षा के लिए आम जनता के पैसे से हो रहा है। केंद्र सरकार इसलिए इन विमानों की खरीद में पारदर्शिता बरतने के लिए कर्तव्यतः बाध्य है”।

याचिका में कहा गया है कि इस प्रक्रिया में रक्षा खरीद नीति (डीपीपी) प्रक्रिया का उल्लंघन हुआ है जिसमें रक्षा मंत्रालय से इस खरीद के लिए अनुमति नहीं ली गई और निविदा प्रक्रिया का भी उल्लंघन शामिल है। याचिकाकर्ता ने यह स्वीकार किया है कि कई बार इस तरह की सूचनाओं को राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से गुप्त रखा जाता है, पर वर्तमान मामले में इस पर आने वाले कुल खर्च के बारे में पहले ही बताया जा चुका है जबकि इसके ऑपरेशनल विवरण को गोपनीय रखा गया।

Next Story