वकीलों, कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से पूछा, सिर्फ मोबाइल और बैंकों के लिए ही आधार की सीमा क्यों बढ़ाई गई
LiveLaw News Network
14 March 2018 4:40 PM IST
“रिथिंक आधार” अभियान ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले खिलाफ एक कड़ा बयान दिया है। कोर्ट ने बैंकिंग और मोबाइल सेवाओं को आधार से जोड़ने की समय सीमा को अनिश्चित काल तक बढ़ा दिया है। अब इसके बारे में कोई निर्णय आधार पर सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले में ही सुनाया जाएगा। अभियान का कहना है कि उसने निजता की सुरक्षा या मौलिक अधिकार को इसमें अभी शामिल नहीं किया है।
एक बयान में अभियान ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने जो अंतरिम आदेश दिया है वह काफी निराशाजनक है। आधार के तहत बायोमेट्रिक से लिंक आईडी की वजह से बहुत सारे लोगों को राशन नहीं मिलने के कारण देश के गरीब जिलों में भुखमरी का शिकार होना पड़ा है”।
“यह अच्छी बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी सेवाओं और लाभों को आधार से आवश्यक रूप से जोड़ने पर रोक लगा दिया है। किसी भी लाभ या सेवाओं को आधार से आवश्यक रूप से जोड़ने का कोई औचित्य नहीं है,” अपने एक ट्वीट में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने यह कहा।
लाइव लॉ से बातचीत में सुप्रीम कोर्ट के वकील करुणा नंदी ने कहा,
“यह दुःख की बात है कि सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट की अवमानना को माफ़ कर दिया गया। है। आधार अगर लागू होता है तो हमारे देशके गरीब नागरिकों को उनकी पहचान में गड़बड़ी का खामियाजा भुगतना पड़ेगा, और जब उनके परिवार को भुखमरी का शिकार होना पड़ेगा, जब उनको इसकी वजह से राशन नहीं मिलेगा या एमएनआरईजीए के तहत उनको उनके आधार के चोरी कर लिए जाने के कारण कोई काम नहीं मिलेगा”।
सुप्रीम कोर्ट का मंगलवार का आदेश पैन पर चुप है और अभियान का मानना है कि इसक बारे में जून 2017 का फैसला ही लागू रहेगा।
रिथिंक आधार ने अपने बयान में कहा, “यह चिंताजनक है, अटॉर्नी जनरल के आग्रह के अनुरूप आज आधार अधिनियम 2016 की धारा 7 के तहत उन महत्त्वपूर्ण 139 सेवाओं के लिए आधार लिंकिंग की सीमा को आगे नहीं बढ़ाया गया जिनमें से कई नागरिकों के वैधानिक अधिकार हैं”।
इनमें आवश्यक सेवाएं जैसे मध्याह्न भोजन, खाद्य सब्सिडी, शिक्षा का अधिकार, दिव्यांगता, विधवा और वृद्धावस्था पेंशन, दलित और आदिवासी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति, शिक्षकों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को मिलने वाली छात्रवृत्ति, जननी सुरक्षा योजना के तहत मिलने वाले मातृत्व लाभ एवं अन्य इसी तरह के लाभ शामिल हैं।
अभियान ने कहा कि इससे पहले भी सरकारी विभाग कोर्ट के पिछले आदेशों की अनदेखी करते रहे हैं और ये आदेश किसी भी तरह से प्रभावी नहीं हो पाए और लोगों को इससे कोई राहत नहीं मिली।
अभियान ने कहा कि मंगलवार को कोर्ट ने जो आदेश दिया वह यह दिखाता है कि आधार के बारे में मध्य वर्ग के लोगों की चिंता से कोर्ट अवगत है और कहा कि लेकिन कोर्ट हाशिये पर मौजूद लोगों को लेकर इस तरह की चिंता नहीं कर रही है।
याचिकाकर्ता एडवोकेट अब इस वर्ष के लोगों के लिए भी आधार की लिंकिंग को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कराने का प्रयास करेगा जो धारा 7 के तहत आते हैं।