वरिष्ठ एडवोकेट बनाए जाने को लेकर केरल हाई कोर्ट के नए नियम
LiveLaw News Network
8 March 2018 3:22 PM IST
केरल हाई कोर्ट ने ‘High Court of Kerala (Designation of Senior Advocates) Rules 2018 के तहतवरिष्ठ एडवोकेट बनाए जाने को लेकर नए नियम गढ़े हैं। इसे 15 मार्च तक केरल गजट में प्रकाशित करा दिए जाने की उम्मीद है। ऐसा इंदिरा जयसिंह बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए किया गया है।
नए नियम के अनुसार एक एडवोकेट को वरिष्ठ एडवोकेट तब माना जाएगा जब उसके नाम का प्रस्ताव मुख्य न्यायाधीश या हाई कोर्ट का कोई अन्य न्यायाधीश करता है या फिर दो वरिष्ठ एडवोकेट उसके नाम की अनुशंसा करते हैं या एडवोकेट इसके लिए जो आवेदन देता है उस पर प्रैक्टिस कर रहे दो वरिष्ठ एडवोकेट की अनुशंसा संलग्न रहती है। उम्मीदवार पिछले कम से कम दस सालों से प्रैक्टिस कर रहा हो और इतने ही समय से आयकर चुका रहा हो, यह जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट के नवीनतम फैसले के अनुसार वरिष्ठ एडवोकेट बनाए जाने के लिए एक समिति के गठन का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के अनुसार, इस समिति की अध्यक्षता हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश करेगा और इसमें उनके बाद के दो वरिष्ठतम जज भी शामिल होंगे और महाधिवक्ता भी इसके सदस्य होंगे। ये चार सदस्य बार के एक सदस्य को इस समिति में नामित करेंगे। हाई कोर्ट का रजिस्ट्रार जनरल इस समिति के सचिव के रूप में काम करेगा।
वरिष्ठ एडवोकेट बनाए जाने के प्रस्ताव/सुझाव/आवेदनों को समिति 30 दिनों के भीतर प्रकाशित करेगी। यह समय बार से किसी भी तरह के सुझाव/विचार प्राप्त करने के लिए होंगे। इस तरह के सुझाव लिखित ही होंगे और सुझाव देने वालों का पूरा नाम और उनका पहचान स्पष्ट होगा। नियम में स्पष्ट कहा गया है कि अनाम याचिकाओं पर गौर नहीं किया जाएगा।
समिति इसके बाद संबंधित एडवोकेट के बारे में सभी जरूरी जानकारी जुटाएगा और भी तदनुरूप रिपोर्ट तैयार करेगा। समिति संबंधित एडवोकेट से संवाद भी करेगा ताकि उसका एक समग्र आकलन कर सके।
प्रस्ताव/सुझाव तभी स्वीकार किये जाएंगे जब पूर्ण कोर्ट बैठक में उपस्थित जजों में से दो-तिहाई इसके पक्ष में होते हैं। गुप्त मतदान तभी करे जाएंगे जब ऐसा करना आवश्यक होगा।
किसी भी तरह के पेशेवर उद्दंडता या दुर्व्यवहार या अनैतिक कार्य किए जाने पर इस संबंधित एडवोकेट की वरिष्ठता समाप्त किए जाने का भी नियम में प्रावधान है।