आधार लिंकेज नहीं होने की वजह से पेंशन रोकने पर सीआईसी ने माँगी जानकारी [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

5 March 2018 9:37 AM GMT

  • आधार लिंकेज नहीं होने की वजह से पेंशन रोकने पर सीआईसी ने माँगी जानकारी [आर्डर पढ़े]

    पोस्टल विभाग द्वारा पेंशन के बारे में जानकारी नहीं देने पर कड़ी प्रतिक्रया व्यक्त करते हुए केंद्रीय सूचना आयुक्त (सीआईसी) ने पोस्टल अथॉरिटीज से यह पूछा है कि किस कानूनी अधिकार के तहत उन्होंने पोस्ट ऑफिस के कर्मचारियों के पेंशन को आधार से लिंक करने का आदेश दिया है। यह आदेश सीआईसी श्रीधर अचार्यलु ने एनएन धुमने बनाम पीआईओ, पोस्टल विभाग मामले में दिया।

    इस मामले में आवेदन करने वाली महिला को स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेने के बाद हर माह की पहली तारीख को पेंशन मिलती रही थी। पर मार्च 2017 को उसका पेंशन यह कहते हुए रोक लिया गया कि आधार से यह लिंक नहीं है। उन्होंने अपना पेंशन रोके जाने को लेकर दो आरटीआई आवेदन दायर किया था कि आखिर क्यों उनका पेंशन रोका गया गया है।

    केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) ने उनको सूचना दी कि उनका पेंशन नहीं रोका गया है बल्कि उनके खाते में पेंशन की राशि डालने में देरी हुई है। सीपीआईओ ने कहा कि जिन लोगों के पेंशन आधार लिंकेज नहीं होने के कारण रोके गए हैं उनके नाम नहीं बताये जा सकते क्योंकि ये निजी सूचनाएं हैं। इस इनकार से असंतुष्ट आवेदक ने अपीली अधिकरण के समक्ष अपील दायर की। पर उसने भी सीपीआईओ के ही मंतव्य का समर्थन किया जिसके बाद आवेदक ने सीआईसी के सामने अपील दायर किया।

    सीआईसी ने कहा कि पेंशन का संबंध “जीवन और ज़िंदा रहने” से है। इन 55 पेंशनधारकों का जीवन पेंशन की उस मामूली राशि पर टिकी है जो उनको हर महीने मिलती है और इस तरह की सूचना को जीवन से जुड़ी सूचना मानी जानी चाहिए और इसके बारे में जानकारी आरटीआई क़ानून 2005 की धारा 7 के तहत 48 घंटे के भीतर दी जानी चाहिए थी।

    न्यायमूर्ति केएस पुत्तस्वामी एवं अन्य बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए सीआईसी ने कहा कि यह पोस्टल अथॉरिटीज की कानूनी जिम्मेदारी है कि वह पूरे तथ्यों के साथ कारण बताते हुए यह बताए कि पेंशन को किन परिस्थितियों में और क्यों आधार से लिंक किया जा रहा है, वे इस तरह की लिंकिंग नहीं होने की वजह से पेंशन क्यों रोक रहे हैं, इस बारे में उन्होंने पेंशनधारकों को अग्रिम सूचना क्यों नहीं दी, इस तरह की लिंकिंग क्या क़ानून-सम्मत है और क्या इसे धारा 4(1)(c) और (d) के तहत किसी अग्रिम सूचना के बिना लागू किया जा सकता है।

    चिंतित सीआईसी ने कहा, “आधार के लिंकेज के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के उपरोक्त आदेश के कारण पोस्टल अथॉरिटीज से यह उम्मिद्की जाती है कि वे बताएं कि किस कानूनी अधिकार के तहत न्होंने पोस्ट ऑफिस को अपने कर्मचारियों के पेंशन भुगतान को आधार से लिंक करने का यह निर्देश दिया है”।

    उन्होंने प्रतिवादी अथॉरिटी को आदेश दिया कि वह उस सर्कुलर/आदेश की सत्यापित फोटो कॉपी उपलब्ध कराएं जिसके आधार पर 55 लोगों की पेंशन राशि का भुगतान उनके खाते के आधार के साथ लिंक नहीं होने के कारण मार्च 2017 में रोक दिया गया और उन पेंशनधारकों का नाम भी बताएं जिनको पेंशन के भुगतान में देरी हुई है। सीपीआईओ को सीआईसी ने कारण-बताओ नोटिस जारी कर यह पूछा है कि सूचना का अधिकार के तहत जानकारी उपलब्ध कराने से मना करने के कारण क्यों न उन पर अधिकतम जुर्माना लगाया जाए।


     
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