मेट्रो स्टेशनों पर नि:शुल्क जल,शौचालयों के अभाव पर दिल्ली हाईकोर्ट ने जताई चिंता
LiveLaw News Network
28 Feb 2018 10:32 AM IST
दिल्ली हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने मेट्रो स्टेशनों पर मुफ्त पीने के पानी और शौचालयों की कमी पर चिंता जताई है और दिल्ली मेट्रो रेल निगम को निर्देश दिया है कि वोपिछले 14 सालों से ऐसी नीति अपनाए जाने के कारण बताए।
न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट्ट और न्यायमूर्ति एके चावला की पीठ ने डीएमआरसी की "नि: शुल्क पानी / शौचालय सुविधाएं" नीति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहाकि चिकित्सा समस्या के मामले में एक यात्रीकहाँ जायेगा ?
बेंच ने 21 अगस्त 2017 के एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ वकील कुश शर्मा के माध्यम से कुश कालरा की अपील की सुनवाई की जिसमें अदालत ने दिल्ली मेट्रो के यात्रियों के लिए स्वच्छ पेयजल, कूड़ेदान और उचित स्वच्छता सुविधाओं आदि के लिए दाखिल याचिका खारिज कर दी थी।
एकल न्यायाधीश ने कहा था, "हालांकि, पीने के पानी की सुविधा प्रदान करना आवश्यक है, याचिकाकर्ता को इस बात पर जोर देने का कोई अधिकार नहीं है कि ऐसी सुविधाएं मुफ्त प्रदान की जाएं।”
“ यह तथ्य नहीं है कि क्या मेट्रो स्टेशन के भीतर या मेट्रो स्टेशन के बाहर पानी उपलब्ध है; जब स्टेशन के भीतर और आसपास आसानी से पेयजल उपलब्ध हो जाता है, याचिकाकर्ता को कोई शिकायत नहीं हो सकती, “ एकल न्यायाधीश ने कहा था।
मुफ्त शौचालय सुविधाओं पर, डीएमआरसी ने एकल न्यायाधीश को बताया था कि यात्री मुफ्त में कर्मी शौचालयों का उपयोग कर सकते हैं, भले ही याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि उचित शौचालय उपलब्ध कराना डीएमआरसी का कर्तव्य है।
इस आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता कुश शर्मा ने खंडपीठ को बताया कि एकल न्यायाधीश ने यह नहीं देखा कि "डीएमआरसी ने पानी को आर्थिक वस्तु के रूप में अपनाया है।”
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि एकल न्यायाधीश इस तथ्य पर विचार करने में विफल रहे हैं कि कई मेट्रो स्टेशनों पर शौचालय की सुविधा भी नहीं होती जो कि चिंता का एक प्रमुख कारण है, विशेष रूप से महिला यात्रियों के लिए।
"एकल न्यायाधीश ने गलती से कहा है कि यह कोई तथ्य नहीं है कि पानी मेट्रो स्टेशन या तत्काल बाहर उपलब्ध है क्योंकि यात्रियों से मेट्रो स्टेशन के बाहर स्वच्छ और नि: शुल्क पीने के पानी के लिए जाने की उम्मीद नहीं की जा सकती।
डीएमआरसी को नि: शुल्क और स्वच्छ पानी की उपलब्धता और पहुंच सुनिश्चित करने के लिए निर्देश ना देकर एकल न्यायाधीश ने अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन नहीं किया है और कहा है कि डीएमआरसी सभी मेट्रो स्टेशनों पर
स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है, "शर्मा ने कहा।
उन्होंने खंडपीठ को ये भी बताया कि चेन्नई मेट्रो रेल लिमिटेड, जयपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन और लखनऊ में नि: शुल्क पेयजल और शौचालय सुविधाएं हैं।
बेंच ने 9 मई तक डीएमआरसी को प्रतिक्रिया देने की मांग की है और यह भी कहा है कि वो यात्रियों को मुफ्त पीने के पानी और शौचालय सुविधाओं के खिलाफ अपनी नीति दिखाने वाले दस्तावेज पेश करे।
गौरतलब है कि डीएमआरसी ने एकल न्यायाधीश के सामने पेश किया था कि पानी के लिए 128 क्योस्क वर्तमान में चल रहे हैं जहां से यात्री पानी खरीद सकते हैं।
इसके अलावा 200 अन्य निर्मित दुकानें हैं, जो खानपान के अलावा पैक किए गए पेयजल भी उपलब्ध कराते हैं। उसने यह भी कहा था कि 35 स्टेशन हैं जहां स्वच्छ पेयजल की सुविधा (पीआई-लो चलने वाली इकाइयों के माध्यम से) प्रदान की जाती है। ऐसे आउटलेट में आरओ फ़िल्टर किए गए पानी को 250 मिलीलीटर के लिए 2 रुपये और 1 लीटर के लिए 5 रुपये के मूल्य पर प्रदान किया जाता है।
हालांकि एडवोकेट शर्मा ने तर्क दिया कि डीएमआरसी नि: शुल्क पीने के पानी की अपनी नीति से अलग हो गया है।