50 और 200 रुपये के नए नोट पहचानने में दृष्टिहीन को परेशानी: दिल्ली हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एसके रुंगटा की सहायता मांगी [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
26 Feb 2018 11:09 AM GMT
दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस जनहित याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एसके रुंगटा की सहायता मांगी है जिसमें आरोप लगाया गया है कि 50 रुपये के नोट में दृष्टिहीन लोगों द्वारा उनकी पहचान को सक्षम करने के लिए अपेक्षित चिह्न नहीं हैं।
16 फरवरी को पारित आदेश में कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की खंडपीठ ने दृष्टिहीन लोगों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन स्कोर फाउंडेशन के सीईओ जॉर्ज अब्राहम को रुंगटा की मदद करने को कहा है, जो जन्म से दृष्टिहीन हैं।
अदालत ने केंद्र को भी एक हफ्ते का समय दिया है कि वो विभिन्न सिक्कों के बीच विभेदित हलफनामे दर्ज करें जिन्हें जारी किया गया है या जारी किया जाना है।
दरअसल अदालत अधिवक्ताओं-रोहित दंडरीयाल, राहुल कुमार, कुमार विवेक और अमृतांशु बर्थवाल, एक कंपनी सचिव- राहुल कुमार और गैर सरकारी संगठन ऑल इंडिया कॉन्फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
याचिकाओं में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी नोटों पर इंटैग्लियो में एक खास फीचर पेश किया था, जिसमें 10 रुपये के नोट को छोडकर सभी नोटों को शामिल किया गया था।
उदाहरण के लिए 20 रुपये के नोट में ऊर्ध्वाधर आयतें हैं, जबकि 50 रुपये के नोट मे स्कवेयर इस्तेमाल किए गए थे। यह विशेषता नेत्रहीनों को उसकी प्रतियां पहचानने में मदद करती है।
हालांकि इसमें आरोप लगाया गया है कि नए नोट् में ऐसा कोई पहचान चिन्ह नहीं है। याचिकाकर्ता कहते हैं कि ये भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 उल्लंघन है। तर्क दिया गया, "दृष्टिहीन लोगों के लिए नए नोट की पहचान करने में बहुत मुश्किल होती है। उत्तरदाताओं ने इसके द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत नेत्रहीन लोगों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया है । " याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने 31 जनवरी को केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को नोटिस जारी किया था। मामला अब 7 मार्च को सूचीबद्ध किया गया है।