कार्ति चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं : सुप्रीम कोर्ट 6 मार्च को करेगा सुनवाई
LiveLaw News Network
23 Feb 2018 1:17 PM IST
INX मीडिया कथित घोटाले में आरोपों से घिरे कार्ति चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय के एक मार्च के समन पर रोक लगाने संबंधी आदेश जारी करने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई अब 6 मार्च को करेगा। अदालत ने कार्ति को नई याचिका दाखिल करने को भी कहा है।
शुक्रवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अमिताव रॉय और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच में सीबीआई की ओर से पेश ASG तुषार मेहता ने अर्जी का विरोध किया और कहा कि कार्ति कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कार्ति कोई आम अपराधी नहीं हैं और कोर्ट को उनकी अर्जी पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए। किसी को भी कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए
कार्ति ने सीबीआई के मामले में ही ईडी मामले की हस्तक्षेप अर्जी दाखिल की है और वो केस अलग है।ये मुद्दा कोर्ट के सामने नहीं है। एक मार्च के ईडी के समन पर कोर्ट को कोई आदेश जारी नहीं करना चाहिए क्योंकि ये एक तरह की अग्रिम जमानत का फैसला होगा। तुषार ने कहा कि वो ईडी के लिए नहीं बल्कि सीबीआई के लिए पेश हुए हैं।
वहीं कार्ति चिदंबरम की ओर से कपिल सिब्बल और गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि ईडी का मामला सीबीआई केस से ही सामने आया है इसलिए ये हस्तक्षेप अर्जी दाखिल की गई है।
सीबीआई ने अभी तक कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की है और उन्हें लगातार परेशान किया जा रहा है।वो नई याचिका दाखिल करेंगे और ईडी के सामने एक की बजाए 9 मार्च को पेश हो सकते हैं। इसलिए एक मार्च के समन पर रोक लगाई जाए।
लेकिन कोर्ट ने कहा कि कार्ति इस मामले में अलग से याचिका दाखिल करें और सुनवाई 6 मार्च को होगी।
दरअसल पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल कर एक मार्च को पूछताछ के लिए पेश होने के लिए प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जारी समन पर रोक लगाने की मांग की थी।
अर्जी में कार्ति ने कहा कि मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा विदेश जाने के लिए दी गई अनुमति के बाद वह विदेश में चले गए थे और 28 फरवरी की रात लौट आएंगे, लेकिन उन्हें 1 मार्च को पेश होने के लिए कहा गया है। ईडी ने पहले 2 फरवरी को कार्ति को पूछताछ के लिए बुलाया था, जिसके बाद उन्होंने कहा था कि इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में लंबित एक हस्तक्षेप याचिका कारण वो पेश नहीं हो पाएंगे। कार्ति ने याचिका में कहा है कि ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत एक मामला दर्ज किया था और इस मामले में उत्पन्न कथित "अपराध की आय" की जांच कर रहा है। उन्होंने कहा कि ईडी कोई जांच नहीं कर रहा है कि वित्त मंत्रालय की एफआईपीबी यूनिट द्वारा मैसर्स आईएनएक्स कंपनियों के समूह को दी गई मंजूरी में कोई अवैधता है या नहीं। ऐसी जांच के बिना ईडी आवेदक को परेशान कर रहा है; उन्होंने बताया है कि पिछले मौके पर पूछताछ के दौरान कैसे उन्हें एजेंसी ने भोजन करने से भी रोक दिया था।
याचिका में कहा, "तत्काल मामला शक्तियों के दुरुपयोग का एक क्लासिक मामला है। अगर ईडी को करीब 10 घंटे के लिए आवेदक के समन को जारी रखने की इजाजत दी जाती है, वो भी तब जब जांच का दायरा सीमित है, तो इससे न्याय की विफलता होगी।”कार्ति ने ईडी के समन पर रोक लगाने और पहले जारी किए गए समन को रद्द करने के निर्देश मांगे थे।