PNB मामला : नीरव मोदी के जल्द प्रत्यार्पण की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई बुधवार को
LiveLaw News Network
20 Feb 2018 1:55 PM IST
नीरव मोदी- पीएनबी में 11400 करोड रुपये की धोखाधड़ी को लेकर दो जनहित याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं। इनमें अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की गई है। वकीलों द्वारा दाखिल याचिकाओं में दस करोड रुपये से ज्यादा के लोन पर गाइडलाइन जारी करने को कहा गया है। सुप्रीम कोर्ट बुधवार को मामले की सुनवाई करेगा
वकील मनोहर लाल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है जिसमें न्याय के हित में सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में एसआईटी की जांच की मांग की गई है। शर्मा कहते हैं कि मामले की पूरी तरह से जांच की आवश्यकता है क्योंकि इससे सामान्य जनता की हानि हुई है और इस तरह की एक बडी धोखाधड़ी उच्च और शक्तिशाली लोगोंके शामिल हुए बिना नहीं हो सकती। जानकारी को छिपाने के प्रयासों पर इशारा करते हुए, शर्मा ने दावा किया कि "16 जनवरी को धोखाधड़ी के बारे में जानकारी होने के बावजूद, पीएनबी ने इसे पुलिस या सीबीआई को नहीं बताया, लेकिन बैंक के रिकॉर्ड / अन्य लिखित जानकारी को वित्त मंत्री के आदेश पर बदलने में व्यस्त रहा और 29 जनवरी को सीबीआई को मुंबई की शाखा में 7 बैंक कर्मचारियों और तीन कंपनियों से 280.70 करोड़ रुपये का नुकसान दिखाया गया।
"भारतीय बैंकों की विदेशी शाखा द्वारा 90 दिनों के लिए जारी होने वाले एलओयू को बिना सुरक्षा और पुनर्निर्माण के ऐसे उच्च मूल्य वाले फंड को जारी करना आरबीआई वित्तीय नियम और नियमित प्रणालियों के खिलाफ है।"
“ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अभियुक्त नीरव मोदी और उनके पार्टनर नियमित रूप से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ निकटतम सहयोगियों की तरह यात्रा कर रहे थे और वित्तीय सुविधाओं के लिए इतनी बड़ी रकम के लिए उच्चतम वित्त मंत्रालय / राजनीतिक नेताओं की मंजूरी के बिना एक आम शाखा प्रबंधक द्वारा अनुमति नहीं दी जा सकती। "
याचिका में कहा गया है कि सीबीआई के ऐसे विभिन्न उदाहरण हैं, जो प्रधान मंत्री कार्यालय के सीधे नियंत्रण में है, उसने कई मामलों में कोई कार्रवाई नहीं की और सबूत गायब किए। इसलिए इस मामले में अदालत की सख्त निगरानी में जांच की आवश्यकता है।
वहीं दूसरी याचिका वकील विनीत ढांडा ने दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि इस मामले में पंजाब नेशनल बैंक के वरिष्ठ अफसरों के खिलाफ FIR दर्ज कर कारवाई की जाए। केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि नीरव मोदी का जल्द प्रत्यार्पण किया जाए। दस करोड रुपये से ऊपर के बैंक लोन के लिए गाइडलाइन बनाई जाए। जो लोग लोन डिफाल्टर हैं उनकी संपत्ति तुरंत जब्त करने जैसे नियम बनाए जाएं।
याचिका में मांग की गई है कि एक एक्सपर्ट पैनल का गठन हो जो बैंकों द्वारा 500 करोड व ज्यादा के बैड लोन का अध्ययन कर कोर्ट को दे। विजय माल्या, ललित मोदी आदि का हवाला देते हुए याचिका में ये भी कहा गया है कि बडे लोगों को राजनीतिक लोगों का सरंक्षण प्राप्त होता है इसलिए वो पकड में नहीं आते। याचिका में कहा गया है कि इस तरह के घोटालों ने देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है।