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मध्यस्थता संबंधी आदेश सीधे उस कोर्ट में भी दायर किया जा सकता है जिसने यह आदेश दिया है और इसके लिए आदेश को ट्रांसफर करने की जरूरत नहीं : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network
16 Feb 2018 3:48 PM GMT
मध्यस्थता संबंधी आदेश सीधे उस कोर्ट में भी दायर किया जा सकता है जिसने यह आदेश दिया है और इसके लिए आदेश को ट्रांसफर करने की जरूरत नहीं : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
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सुप्रीम कोर्ट ने वृहस्पतिवार को कहा कि मध्यस्थता संबंधी आदेश सीधे उस कोर्ट में भी दायर और लागू किया जा सकता है जिस कोर्ट ने उस व्यक्ति के खिलाफ आदेश दिया है और इसके लिए आदेश के उस कोर्ट से स्थानान्तरण की जरूरत नहीं है जिसके अधिकारक्षेत्र में मध्यस्थता की प्रक्रिया आती है।

न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति एसके कौल की पीठ ने सुन्दरम फाइनेंस लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसे एक सुनवाई अदालत ने कहा था कि वह पहले उचित कार्यक्षेत्र वाली अदालत के समक्ष निष्पादन कार्यवाही की फाइलिंग करे, उनसे ट्रांसफर का आदेश प्राप्त करे और तब जाकर निष्पादन कार्यवाही उस कोर्ट में दायर करे जिसने उसके खिलाफ यह फैसला दिया है। इस निर्णय के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करने के बदले उसने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की क्योंकि क़ानून इस बारे में स्पष्ट नहीं था।

शुरू में शीर्ष अदालत ने कहा कि मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश ने लगातार यह रुख अपनाया कि अदालत में निष्पादन याचिका दायर करने से पहले स्थानान्तरण का आदेश प्राप्त किया जाए।

दिल्ली, केरल, मद्रास, राजस्थान, इलाहाबाद, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने इसके उलट रुख अपनाया। इन्होंने कहा कि निष्पादन का आदेश उस कोर्ट में दाखिल किया जा सकता है जिसने उस व्यक्ति के खिलाफ आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने दूसरी दलील से सहमति जताई और कहा कि हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट्स ने ऐसा लगता है कि नागरिक प्रक्रिया संहिता और अधिनियम में घालमेल किया है।

कोर्ट ने कहा कि इन दोनों हाई कोर्ट्स ने प्रारम्भिक रूप से अधिनियम की धारा 42 पर भरोसा किया। हालांकि उसने स्पष्ट किया की उपरोक्त प्रावधान तभी काम करता है जब कोर्ट में आवेदन पार्ट-I के तहत दायर किया जाए जो कि प्रक्रिया को समाप्त करने की बात करता है लेकिन इसको इस संदर्भ में भुला दिया गया।

इसके बाद कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता की प्रक्रिया तो पहले ही समाप्त हो जा चुकी है जब आदेश दे दिया गया और अब इसको लागू करने की मांग की जा रही है। इसलिए इस पर अमल के संदर्भ में धारा 42 की कोई भूमिका नहीं होगी।

कोर्ट ने इसलिए फैसला दिया, “हम बेहिचक यह कह रहे हैं कि किसी आदेश पर अमल के लिए निष्पादन प्रक्रिया को देश के किसी कोर्ट में दायर किया जा सकता है जो इस तरह का आदेश दे सकता है और इसके लिए आदेश को उस अदालत से ट्रांस्फर कराने की जरूरत नहीं है जिसके अधिकार क्षेत्र में मध्यस्थता की यह कार्रवाई आती है।”


 
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