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दिल्ली हाई कोर्ट की चिंता के बावजूद नागरिक निकाय भूकंप की आशंका वाले दिल्ली में सुरक्षित निर्माण के लिए कोई कार्य योजना बनाने में विफल रहे [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
15 Feb 2018 3:09 PM GMT
दिल्ली हाई कोर्ट की चिंता के बावजूद नागरिक निकाय भूकंप की आशंका वाले दिल्ली में सुरक्षित निर्माण के लिए कोई कार्य योजना बनाने में विफल रहे [आर्डर पढ़े]
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दिल्ली की सिर्फ 25% संरचनाएं ही स्वीकृत योजना के अनुरूप बनते हैं

दो साल से अधिक हो गए जब दिल्ली हाई कोर्ट ने यह आशंका जाहिर की थी कि दिल्ली की 75 निर्माण कार्य अनधिकृत हैं और 10 से 15 प्रतिशत निर्माण ही ऐसे हैं जो भूकंप को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं, नागरिक निकाय राष्ट्रीय भवन भवन कोड -2005 के अनुरूप निर्माण करने के लिए किसी तरह की कार्य योजना बनाने और उसे कोर्ट में पेश करने में विफल रहे हैं।

न्यायमूर्ति रविन्द्र भट और एके चावला की पीठ ने कहा कि सभी नगर निगम दिल्ली के भूकंप जोन-IV में होने की वजह से यहाँ होने वाले निर्माण कार्यों को इसके अनुरूप करने के लिए किसी भी तरह की व्यापक कार्य योजना बनाने में विफल रहे हैं। कोर्ट ने 26 अगस्त 2015 को ही इन निकायों को ऐसा करने को कहा था।

 कोर्ट ने कहा, “सभी निगमों (उत्तर दिल्ली नगर निगम, दक्षिण दिल्ली नगर निगम, पूर्वी नगर निगम और नई दिल्ली नगर निगम) के आयुक्त यह सुनिश्चित करेंगे कि आज से चार सप्ताह के अंदर कोर्ट के निर्देश के अनुरूप एक कार्य योजना तैयार करेंगे और इस मामले की अगली सुनवाई के दिन 11 अप्रैल को कोर्ट में मौजूद रहेंगे।”

यह गौर करने वाली बात है कि कोर्ट ने इस बारे में जब आदेश दिया था तब राजधानी के भवनों की स्थिति पर काफी चिंता जताई थी और कहा था कि “आपदा कभी कभी हो सकती है”। तब उसने कहा था कि इस बारे में एक व्यापक कार्य योजना बनाई जाए और निर्देश दिया था कि भूकंप की आशंका को देखते हुए राष्ट्रीय भवन कोड 2005 का पालन किया जाए।

कोर्ट ने 2015 में ही उत्तर दिल्ली नगर निगम द्वारा दायर हलफनामे पर गौर किया जिसमें कहा गया था कि दिल्ली के निगम क्षेत्र का मात्र 25% क्षेत्र ही प्लान और स्वीकृत क्षेत्र के तहत आता है और शेष जो कि लगभग 75% है, अनियोजित और अनधिकृत है।

हलफनामे में कहा गया था कि जहाँ तक कि अधिकृत कॉलोनीज की बात है, ये नियोजित क्षेत्र का हिस्सा हैं और इस क्षेत्र में बनने वाले भवन अमूमन निर्माण योजना की स्वीकृति के बाद ही बनाए जाते हैं। आगे कहा गया कि जहाँ तक अनधिकृत लेकिन नियमित कॉलोनीज की बात है, हलफनामा कहता है कि ये नियोजित क्षेत्र में आते हैं लेकिन अनुमोदित निर्माण की संख्या काफी कम है।


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