डीजीसीए ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा, ओवरबुकिंग की वजह से अगर सीट नहीं मिलती है तो यात्रियों को मुआवजा मिलना चाहिए [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
14 Feb 2018 9:42 PM IST
नागर विमान महानिदेशालय (डीजीसीए) ने दिल्ली हाई कोर्ट से स्पष्ट कहा कि जिन यात्रियों को ओवरबुकिंग की वजह से सीट नहीं मिलती है उन्हें तत्काल मुआवजा दिया जाना चाहिए और संबंधित एयरलाइन्स से उनको अपने गंतव्य तक जाने का इंतजाम किया जाना चाहिए।
यह फैसला पल्लव मोंगिया द्वारा दायर याचिका पर कोर्ट ने दी गई। मोंगिया को कन्फर्म टिकट होने के बावजूद दिसंबर 2015 में एयर इंडिया ने उन्हें प्लेन में जगह नहीं दी। अब उन्होंने डीजीसीए द्वारा जारी किए गए सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट (सीएआर) के पैराग्राफ 3.2 को चुनौती दी है जो कि ओवरबुकिंग की परिपाटी को स्वीकार करता है।
न्यायमूर्ति विभु बखरू ने हालांकि कहा कि यह उल्लिखित पैरा इस परिपाटी का समर्थन नहीं करता। उन्होंने कहा, “इस पैराग्राफ 3.2 को पढने के बाद पता चलता है कि डीजीसीए इस बात को स्वीकार करता है कि कुछ एयरलाइन्स फ्लाइट्स की ओवरबुकिंग की परिपाटी को चला रहे हैं; हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि डीजीसीए ने एयरलाइन्स को ऐसा करने की अनुमति दी है। और निश्चित रूप से इसका यह मतलब नहीं कि यह कानूनन वैध है।”
कोर्ट ने इस बात को मानने से इनकार कर दिया कि सीएआर इस मामले में एयरलाइन्स से कितने मुआवजे की मांग की जाए इसकी सीमा तय करता है। उसने डीजीसीए की इस बात से सहमति जताई कि सीएआर में जिस राशि की चर्चा की गयी है वह एक ऐसी राशि है जो इस तरह के किसी यात्री को एयरलाइन्स को तत्काल चुकाना चाहिए। डीजीसीए ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि वह एयरलाइन्स से आगे और अधिक मुआवजे की मांग नहीं कर सकता।
एयर इंडिया ने इस बात का समर्थन किया और कहा कि किसी कनफर्म्ड टिकट वाले यात्री को विमान में जगह नहीं देना सेवा में कमी है और यात्री इसके लिए मुआवजे की मांग कर सकता है।
कोर्ट ने कहा कि इस प्रश्न की जांच की जरूरत नहीं है कि डीजीसीए को कथित सीएआर जारी करने का अधिकार है कि नहीं। कोर्ट ने इस फैसले के साथ मामले की सुनवाई समाप्त कर दी।