Begin typing your search above and press return to search.
ताजा खबरें

शोपियां : मेजर के खिलाफ कोई दंडनीय कार्रवाई ना हो : सुप्रीम कोर्ट का जम्मू-कश्मीर सरकार को निर्देश

LiveLaw News Network
12 Feb 2018 9:26 AM GMT
शोपियां : मेजर के खिलाफ कोई दंडनीय कार्रवाई ना हो : सुप्रीम कोर्ट का जम्मू-कश्मीर सरकार को निर्देश
x

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर सरकार और केंद्र सरकार को उस याचिका पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा है जिसमें शोपियां में दो नागरिकों की हत्या के संबंध में मेजर आदित्य कुमार के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की गई थी।

दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश देते हुए  मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने निर्देश दिया कि तब तक मेजर कुमार के खिलाफ "कोई दंडनीय कार्रवाई नहीं की जाएगी"। मेजर के खिलाफ सभी कार्रवाई की रोक दी गई हैं।

सेना के कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को लेकर सैनिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए दो याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों और जांच की मांग पर बेंच ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की सहायता मांगी है।

गौरतलब है कि शोपियां के गांवपोरा गाँव में पत्थरबाजी कर रही भीड़ पर सेना कर्मियों ने गोलीबारी कर दो नागरिकों की कथित हत्या कर दी थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने घटना की जांच का आदेश दिया। सेना की 10 गढ़वाल इकाई के मेजर कुमार सहित अन्य कर्मियों के खिलाफ रणबीर दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 307 (हत्या की कोशिश) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।

 आदित्य कुमार के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और वकील ऐश्वर्या भाटी ने सैनिकों के अधिकारों की सुरक्षा और उनके लिए पर्याप्त मुआवजे का भुगतान करने के लिए दिशा-निर्देश और प्राथमिकी रद्द करने की मांग की ताकि सेना के कर्मियों को अपने कर्तव्यों का प्रयोग करने के दौरान आपराधिक कार्यवाही शुरू करने से परेशान ना किया जा सके।

"यह एक बहुत गंभीर मुद्दा है। सेना ने कभी ऐसी खतरनाक स्थिति का सामना नहीं किया", रोहतगी ने पीठ को बताया।

वहीं अधिवक्ता विनीत ढांडा द्वारा दायर एक याचिका पर भी नोटिस जारी किए गए जिन्होंने भविष्य में सेना के कर्मियों के खिलाफ किसी भी मामले को दर्ज करने से पहले जांच कराने के लिए एक विशेषज्ञ पैनल का गठन करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की। उन्होंने कोर्ट से

 आग्रह किया कि राज्य 9,730 लोगों के कथित रूप से पत्थर-गोलीबारी की घटनाओं में शामिल होने के खिलाफ मामलों को वापस न ले। इसके साथ ही उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश से एफआईआर की जांच कराने का निर्देश भी मांगा गया है।

Next Story