एसिड हमलों की बढोतरी को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से मांगा जवाब
LiveLaw News Network
9 Feb 2018 8:21 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है जिसमें आरोप लगाया गया है कि 2013 और 2015 में जारी किए गए आदेशों के तहत एसिड हमलों को रोकने और पीडितों को समय पर राहत और मुआवजे के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है।
“ हम नोटिस जारी कर रहे हैं", मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा।
याचिकाकर्ता और वकील अनुजा कपूर ने कुछ आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया कि 2010 और 2016 के बीच एसिड हमलों के 1189 मामले हुए जो चौंकाने वाली संख्या है। उन्होंने तर्क दिया कि " बिना रोक टोक के बाजार में एसिड की खुली बिक्री चल रही है। “
सुप्रीम कोर्ट ने पहले यह फैसला सुनाया था कि संबंधित अधिकारियों द्वारा जारी आवासीय पते वाले फोटो पहचान पत्र ऐसे पदार्थों की खरीद के लिए आवश्यक होंगे और जो किसी भी मामले में 18 साल से कम उम्र के किसी व्यक्ति को नहीं बेचे जा सकते। उन्होंने आग्रह किया कि सुप्रीम कोर्ट को किसी भी राज्य को छोड़ना नहीं चाहिए जो महिलाओं पर एसिड हमलों से निपटने और समय पर राहत और मुआवजे प्रदान नहीं करने के पहले के आदेश को लागू नहीं कर रहे हैं। "मुआवजे और मेडिकल उपचार में शामिल प्रक्रिया बहुत ही कठिन और थकाऊ होती है, इसके बाद भी इसके लिए कई दिशानिर्देश और कानून हैं", उन्होंने तर्क दिया। “ दिशा-निर्देशों और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन न करने के लिए उपर्युक्त उत्तरदाताओं को जवाबदेह और उत्तरदायी रखने की जरूरत है।” उनकी याचिका में कहा गया है।
मुख्य प्रार्थना :
- प्रतिवादियों और संबंधित अधिकारियों को दिशानिर्देशों का अनुपालन करने और एसिड हमले के पीड़ितों से संबंधित विभिन्न कानूनों के लागू करने के लिए एक रिट / ऑर्डर या निर्देश जारी करना।
- एसिड पीड़ितों को उनके अस्तित्व और पुनर्वास के लिए सहायता प्रदान करने के लिए एक खिड़की के संचालन के लिए दिशा-निर्देश के लिए आदेश जारी करना
- एसिड हमले के पीड़ितों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 3 लाख रुपये की न्यूनतम मुआवजा राशि देने के लिए एक रिट / ऑर्डर या निर्देश जारी करें।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2015 में सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को कारण बताओ नोटिस जारी किए थे और पूछा था कि क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाए।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं पर एसिड हमलों को रोकने के लिए 2013 में निर्देश दिया था कि एसिड हमले को गैर-जमानती अपराध बनाया जाएगा और पीड़ितों के लिए मुआवजे की राशि तीन लाख रुपए तक बढ़ा दी जाएगी। कोर्ट ने ये भी कहा था कि राज्य सरकार को हमले की घटना सूचना मिलने के 15 दिनों के भीतर पीडिता को मुआवजे के तीन लाख रुपये में से एक लाख रुपये दिए जाएंगे।