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शेयर बाजार पर असर न हो तो भी फर्जी कारोबार गैर-कानूनी है : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network
9 Feb 2018 8:38 AM GMT
शेयर बाजार पर असर न हो तो भी फर्जी कारोबार गैर-कानूनी है : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
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सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिभूति अपीली अधिकरण (एसएटी) के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें उसने कहा था कि अगर किसी फर्जी कारोबार का शेयर बाजार पर असर पड़ता है तभी इसे फर्जी और अनुचित व्यापार व्यवहार विनियमन प्रावधान का उल्लंघन माना जाएगा।

न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ और न्यायमूर्ति आर बनुमथी की पीठ ने कहा कि शेयर बाजार फर्जी और अनुचित व्यापार व्यवहार का मंच नहीं है और वह एसएटी की इस सोच से सहमत नहीं है।

सेबी ने तीन व्यापारियों और दलालों पर डेरिवेटिव सेगमेंट में प्रतिभूतियों की फर्जी खरीद-फरोख्त करने का आरोप लगाया था। सेबी ने कहा था कि ये जिन कीमतों पर इनकी खरीद-बिक्री कर रहे थे वह प्रतिभूतिओं की वास्तविक कीमत नहीं थी। सेबी ने इन पर कारोबार के फर्जी तरीकों के प्रयोग का आरोप लगाया था और कहा था कि ये कारोबार फर्जी और नकली थे।

उनकी अपील पर एसएटी ने कहा कि कीमतों में भारी अंतर वाले जिन सिनक्रोनाईजेशन और रिवर्सल कारोबार का इन लोगों ने कुछ सेकेंडों के अंतर में उसी दिन अंजाम दिया उसका बाजार पर कोई असर नहीं पड़ा और इसने निफ्टी सूचकांक को किसी भी तरह प्रभावित नहीं किया और न ही इसका निवेशकों पर कोई असर पड़ा। उसने यह भी कहा कि इस तरह के कारोबार गैर-कानूनी तभी हैं जब वे निवेशकों को किसी तरह प्रभावित करते हैं।

न्यायमूर्ति जोसफ ने कहा, “...एक पक्ष ने लाभ कमाया और दूसरे पक्ष को घाटा हुआ। कोई भी व्यक्ति जानबूझकर घाटे के लिए कारोबार नहीं करता। जानबूझकर घाटे के लिए कारोबार प्रतिभूति का सही कारोबार नहीं है। शेयर बाजार के मंच का प्रयोग फर्जी कारोबार के लिए हुआ है। व्यापार हमेशा ही मुनाफे के लिए किया जाता है। पर अगर एक पक्ष पूर्व नियोजित और शीघ्र रिवर्सल ट्रेड में लगातार घाटा झेल रहा है तो उसे सही नहीं कहा जा सकता; यह अनुचित व्यापार व्यवहार है।

पीठ ने यह भी कहा कि सेबी अधिनियम 1992 प्रतिभूतियों में निवेश करने वालों के हितों की रक्षा के लिए बनाया गया था। और निवेशकों के हितों की रक्षा निश्चित रूप से बाजार के अनुचित प्रयोग को रोकने से जुड़ा है।

दलालों के बारे में कोर्ट ने कहा कि सिर्फ इस वजह से कि एक दलाल ने एक कारोबार को अंजाम दिया है, यह नहीं कहा जा सकता कि सेबी के विनियमन का उल्लंघन हुआ है क्योंकि सेबी ने इस बारे में कोई सबूत नहीं दिया है जिससे यह पता लग सके कि दलालों की और से लापरवाही हुई या इसमें उनकी मिली भगत थी। पीठ ने कहा, “...दलालों के खिलाफ सेबी के आदेश में दखल देने की जरूरत है”।

पीठ ने यह भी कहा कि प्रतिभूति बाजार की निगरानी के लिए एक व्यापक कानूनी फ्रेमवर्क की जरूरत है।

न्यायमूर्ति आर बनुमथी ने अपने अलग फैसले में कहा, “...कथित कारोबार मैनिपुलेटिव/धोखा देने वाला है और वांछित घाटा/लाभ के लिए किया गया। इस तरह के सिनक्रोनाईज्ड कारोबार प्रतिभूतियों के पारदर्शी कारोबार के खिलाफ है। अगर एसएटी का निष्कर्ष कायम रहता है तो यह बाजार की ईमानदारी को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा इसलिए एसएटी का आदेश निरस्त करने के योग्य है”।


 
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