Begin typing your search above and press return to search.
ताजा खबरें

रेप और यौन शौषण कानून को लिंग आधारित भेदभाव बताने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की

LiveLaw News Network
2 Feb 2018 8:28 AM GMT
रेप और यौन शौषण कानून को लिंग आधारित भेदभाव बताने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की
x

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि रेप और यौन शोषण के मामलों में महिला को भी दंडित किया जाना चाहिए। याचिका में IPC के इस प्रावधान को लिंग के आधार समानता के अधिकार के खिलाफ बताया गया था।

बेंच ने कहा कि ये तय करना संसद का काम है। वैसे बहुत सारे कानून महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। इस केस में सुप्रीम कोर्ट दखल नहीं देगा।

दरअसल वक़ील ऋषि मल्होत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि 158 साल पुराने IPC के मुताबिक केवल पुरुष ही ऐसे अपराध करते है। अपराधी और अपराध का कोई लिंग नही होता वो कोई भी कर सकता है। कानून अपराध को लेकर महिला और पुरुष के बीच भेदभाव नही करता।महिलाओं को भी पुरुषों की तरह रेप और यौन उत्पीड़न जैसे मामलों में दंडित किया जाए क्योंकि पुरूष भी रेप के पीड़ित हो सकते है। इसमें कहा गया था कि IPC के 354 A 'यौन शोषण’  और 376 ' रेप' के लिए शब्द any man " कोई भी पुरुष" का इस्तेमाल किया गया है , इसे संविधान के विपरीत घोषित किया जाना चाहिए।

ऋषि मल्होत्रा ने संविधान के अनुच्छेद 15 का हवाला देते हुए कहा था कि इसके मुताबिक देश के किसी भी नागरिक के साथ लिंग, धर्म, जाति, जन्म लेने के स्थान को लेकर भेदभाव नही किया जाएगा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने व्यभिचार कानून पर फिर से विचार करने की सहमति जताई है और मामले को संविधान पीठ में भेजा गया है।

Next Story