हज के लिए 5 बार आवेदन कर चुके लोगों पर बयान दाखिल करे केंद्र : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

1 Feb 2018 11:50 AM GMT

  • हज के लिए 5 बार आवेदन कर चुके लोगों पर बयान दाखिल करे केंद्र : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]

     सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वो 65 से 70 वर्ष के आयु वर्ग के उन आवेदकों पर एक बयान दाखिल करे जिन्होंने चार बार पहले आवेदन किया है लेकिन हज तीर्थ यात्रा के लिए नहीं जा पाए हैं।

     मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई  चंद्रचूड की बेंच ने निर्देश दिया कि "पूरी तरह  अंतरिम उपाय के रूप में, यह निर्देश दिया जाता है कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद उन पांच बार केआवेदकों के संबंध में एक बयान दाखिल करेंगी जिन्होंने 65 वर्ष की आयु पार कर ली है लेकिन 70 साल से कम के हैं तीर्थ यात्रा के लिए कभी भी सक्षम नहीं हुए हैं। "

    दरअसल सुप्रीम कोर्ट हज  दिशानिर्देश 2018-2022 के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली केरल राज्य हज समिति द्वारा दायर एक याचिका  पर सुनवाई कर रहा है।

     वकील हैरिस बीरन  द्वारा तैयार और वकील पल्लवी प्रताप के माध्यम से दायर याचिका में भारत सरकार और अन्य बनाम रफीक शेख भिकन और अन्य, (2012) 6 एससीसी 265 मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के विपरीत प्रावधानों का हवाला दिया गया है।

    इस महीने की शुरुआत में कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया था कि अगस्त में हज यात्रा के लिए नए दिशानिर्देशों के अनुसरण में राज्य द्वारा राज्य के कई हिस्सों के द्वारा तय की गई

    सीटों का आवंटन सुप्रीम कोर्ट के अंतिम आदेश के अधीन होगा।

    दिशानिर्देशों की वैधता पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान केरल राज्य के लिए उपस्थित वकील  जी प्रकाश ने राज्य ने कालीकट एयरपोर्ट को केरल के लिए आरोहण बिंदु बनाने के लिए याचिकाकर्ता की याचिका का समर्थन किया।

    बीरन ने तर्क दिया कि देश के सभी आवेदकों को समान अवसर देना चाहिए   क्योंकि बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के आवेदकों को केरल की  तुलना में सीट प्राप्त करने का बेहतर मौका मिलता है।  इसके लिए केंद्र और भारतीय हज समिति (एचसीओआई) के लिए पेश  पिंकी आनंद ने कहा  चूंकि सऊदी अरब जनसंख्या के आधार पर भारत की सीटों को आवंटित करता है, इसलिए एचसीओआई भी इसी दृष्टिकोण को अपनाता है और आधार पर राज्यों को अनुदान देता है। उनकी मुस्लिम आबादी के तहत राज्यों में अतिरिक्त सीटें भी वितरित की जाती हैं।

     बीरन ने भी लगातार पांच बार आवेदन करने वाले आवेदकों  के लिए कोटा के उन्मूलन का मुद्दा उठाया, जिसमें यह जोर दिया गया कि यह रफीक शेख के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन करता है।

     पिंकी आनंद ने इस तर्क को चुनौती दी कि इस कोटा के लिए सीटों की संख्या बढ़कर 80,000 हो गई है। लेकिन  प्रशांत भूषण ने दावा किया कि यह आंकड़ा सही नहीं है। कोर्ट ने पिंकी आनंद  को सही आंकड़े प्रस्तुत करने के लिए कहा। इस मामले को अब 19 फरवरी को सूचीबद्ध किया गया है।


     
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