गैर दसवीं पास के लिए ऑरेंज पासपोर्ट: केरल हाईकोर्ट के जवाब मांगने के एक दिन बाद ही केंद्र ने फैसला वापस लिया

LiveLaw News Network

31 Jan 2018 5:00 AM GMT

  • गैर दसवीं पास के लिए ऑरेंज पासपोर्ट: केरल हाईकोर्ट के जवाब मांगने के एक दिन बाद ही केंद्र ने फैसला वापस लिया

    केरल हाईकोर्ट के गैर दसवीं पास लोगों के लिए  जारी होने वाले ‘ इमिग्रे़शन चेक आवश्यक’  (ईसीआर) पासपोर्ट के लिए ऑरेंज कवर शुरू करने और पासपोर्ट में पासपोर्ट धारक के व्यक्तिगत विवरण वाले आखिरी पृष्ठ को हटाने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सरकार को नोटिस जारी करने के एक दिन बाद ही इस फैसले को विदेश मंत्रालय ने वापस ले लिया है।

    विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की 29 जनवरी को हुई बैठक में इस फैसले की समीक्षा की गई जहां निर्णय के खिलाफ कई अभ्यावेदन भी विचाराधीन थे।

    विदेश मंत्रालय की विज्ञप्ति के मुताबिक ".विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा के बाद  विदेश मंत्रालय ने पासपोर्ट के अंतिम पृष्ठ के मुद्रण के मौजूदा अभ्यास को जारी रखने का निर्णय लिया है और ईसीआर पासपोर्ट धारकों को नारंगी रंग के कवर के साथ एक अलग पासपोर्ट जारी नहीं करने का निर्णय लिया है।" केंद्र ने अभी तक यह सुनिश्चित किया था कि ऑरेंज पासपोर्ट जारी करने और आखिरी पृष्ठ को हटाने का फैसला विदेश मंत्रालय द्वारा तीन सदस्यीय समिति की सिफारिश पर लिया गया जिसमें विदेश मंत्रालय और अधिकारियों और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय शामिल थे।

    गौरतलब है कि ये फैसला उस वक्त लिया गया है जब केरल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एंटनी डोमिनिक और न्यायमूर्ति शेषाद्री नायडू की बेंच ने कोल्लम

     जिले के दो निवासियों शम्सुद्दीन करुनागप्पा और शाहजहां  द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया था।

    वकील सी उन्नीकृष्णन के माध्यम से दायर की गई याचिका में याचिकाकर्ताओं का कहना था कि कमतर शिक्षा और कमजोर आर्थिक स्थिति वाले लोगों को अलग करने के लिए पासपोर्ट के लिए नारंगी रंग कवर लगाने के लिए उत्तरदाताओं के निर्णय से वे परेशान हैं। "उत्तरदाताओं ने इमिग्रेशन चेक के लिए आवश्यक पासपोर्ट के लिए नारंगी रंग कोड पेश करने का निर्णय लिया है। पासपोर्ट धारक के लिए उत्प्रवास की जांच आवश्यक है, जिनके पास 10 वीं कक्षा से अधिक शिक्षा नहीं है, जो कर योग्य आय से कम है, जो रोजगार की तलाश के लिए प्रवास  करते हैं।”

    इसमें कहा गया था,  "यह कदम मध्य पूर्वी देशों में प्रवासी श्रमिकों को निशाना बनाने के लिए है।अलग-अलग रंग कोड के माध्यम से सार्वजनिक रूप से उनकी स्थिति ज्ञात होगी व उनके गोपनीयता और गरिमा के मौलिक अधिकार पर ये एक गंभीर हमला है। इसके माध्यम से प्राप्त करने के लिए कोई तर्कसंगत उद्देश्य नहीं है।

    याचिका में कहा गया था कि ये समानता के सिद्धांत का शर्मनाक और अशिष्टतापूर्ण उल्लंघन है।

    गौरतलब है कि जब केंद्र ने दावा किया था कि एक अलग रंग का पासपोर्ट,उत्प्रवास श्रमिकों को कठिन परिस्थितियों में  मदद करेगा और उनके दस्तावेजों के आसान प्रसंस्करण में मदद करेगा, याचिका में इसकी  व्यावहारिक कठिनाइयों के बारे में चिंता की गई है  कि इस कदम से प्रवासी मजदूरों के उत्पीड़न और शोषण संभावनाएं पैदा हो सकती हैं क्योंकि उनकी कमजोर स्थिति उनके पासपोर्ट पर रंग के माध्यम से स्पष्ट होती है।

    याचिका में पासपोर्ट से अंतिम पृष्ठ को निकालने के निर्णय को भी चुनौती दी थी जिसमें व्यक्तिगत जानकारी शामिल है, और कहा गया है कि इसके पीठे कोई ठोस कारण नहीं है।  अब तक  सभी साधारण पासपोर्ट  शैक्षिक योग्यता और किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना नीले कवर के साथ जारी किए जाते हैं।

    उत्प्रवास अधिनियम के लिए जरूरी है कि जिस व्यक्ति ने मैट्रिक पूरा नहीं किया है या विदेश में कम से कम तीन साल तक काम नहीं किया है, उसके पास संयुक्त अरब अमीरात ), सऊदी अरब (केएसए) के साम्राज्य सहित 18 देशों कतर, ओमान, कुवैत, बहरीन, मलेशिया, लीबिया, जॉर्डन, यमन, सूडान, अफगानिस्तान, इंडोनेशिया, सीरिया, लेबनान, थाईलैंड और इराक की यात्रा के लिए उत्प्रवास की मंजूरी होनी चाहिए। उत्तीर्ण जांच की आवश्यकता वाले सभी पासपोर्ट पर अंतिम पृष्ठ पर मुहर लगाई जाती हैं।

    याचिका में कहा गया था,  "इसका मतलब यह है कि एक अनूठा और गरीब प्रवासी मजदूरों से भेदभाव करने के लिए एक अलग रंग कोड लागू किया जा रहा है। अगर ऐसा भेदभाव नागरिकों के बीच उत्तरदाताओं द्वारा किया जाता है, तो यह गरीब प्रवासियों के लिए कठिन परिस्थितियों और कठिनाइयों का कारण होगा, जब वे रोजगार के लिए विदेश यात्रा करेंगे या किसी भी दूसरे प्रयोजनों में जब वे अन्य देशों के हवाई अड्डों पर पहुंचेंगे तो वहां के उत्प्रवास अधिकारी उन्हें पासपोर्ट के रंग से मजदूर / कूली या अखंडित श्रेणी के व्यक्ति के रूप में पहचान देंगे और इस कारण उन्हें अपमान और उत्पीड़न का सामना करना पड सकता है। याचिकाकर्ता शाहजहां  एक ईसीआर पासपोर्ट धारक है।

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