कोर्ट के फैसले को लागू नहीं करने के लिए प्रस्तावित कानून का कोई औचित्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

30 Jan 2018 10:40 AM GMT

  • कोर्ट के फैसले को लागू नहीं करने के लिए प्रस्तावित कानून का कोई औचित्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]

    SC ने कर्नाटक से कहा, किसी भी प्रस्तावित कानून के मद्देनजर कोर्ट के आदेश पर अमल ना करने का कोई औचित्य नहीं है।

    सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रस्तावित कानून के मद्देनजर कोर्ट के आदेश पर अमल ना करने का कोई औचित्य नहीं है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को बीके पवित्रा एवं अन्य बनाम भारत संघ और अन्य संगठनों के मामले में जारी आदेशों को लागू  करने के निर्देश दिए हैं।

    जस्टिस ए के गोयल और जस्टिस यू यू ललित की बेंच ने ये टिप्पणी राज्य सरकार द्वारा दायर एक अर्जी पर की जिसमें कोर्ट के आदेशों को लागू करने के लिए और वक्त देने की मांग की गई थी। राज्य की ओर से दलील दी गई थी कि आदेश के तहत प्रक्रिया पूरी करने के लिए पर्याप्त अनुवर्ती कार्रवाई की जा रही है।

    दरअसल इस फैसले में बेंच ने घोषित किया था कि कर्नाटक में आरक्षण के आधार पर सरकार के कर्मचारियों की वरिष्ठता के निर्धारण (राज्य की सिविल सेवा में पदों) के प्रावधान जिसके तहत अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को  'पकड़ो' नियम और रोस्टर के खिलाफ पदोन्नति के लिए वरिष्ठता प्रदान की गई, संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के विपरीत हैं।

     कोर्ट ने राज्य सरकार को वरिष्ठता सूची को तीन महीने के भीतर संशोधित करने का निर्देश दिया था। हालांकि अदालत ने राज्य को इसके लिए

    15 मार्च तक का वक्त देते हुए कहा, "यह स्पष्ट किया गया है कि कोई भी प्रस्तावित कानून इस अदालत के फैसले को पूरा करने के लिए औचित्यपूर्ण नहीं होगा। यह कहना अनावश्यक है कि यदि इस विषय पर कोई कानून लाया गया है तो इसकी वैधता के अधीन उसे लागू किया जा सकता है और ऐसा कानून बनाया जा सकता है। इस चरण में इस तरह के कानून की स्वीकार्यता के संबंध में हम कोई राय नहीं व्यक्त कर रहे। " बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि आदेश के तहत इस प्रक्रिया को रोकना जरूरी नहीं है और जहां वरिष्ठता सूची को अंतिम रूप दे दिया गया है वहां राज्य इस मामले में आगे बढ़ने के लिए स्वतंत्र है।


     
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