दार्जलिंग से बाकी सुरक्षा बल भी हटाना चाहती है केंद्र सरकार, SC ने मांगा ममता सरकार से जवाब

LiveLaw News Network

29 Jan 2018 3:01 PM GMT

  • दार्जलिंग से बाकी सुरक्षा बल भी  हटाना चाहती है केंद्र सरकार, SC ने मांगा ममता सरकार से जवाब

    केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वो दार्जलिंग और कालिमपोंग में तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल ( CAPF ) की बाकी चार कंपनियों को हटाना चाहती है।

    केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच  को बताया कि चुनाव आयोग ने उत्तर पूर्व के तीन राज्यों में चुनाव की घोषणा की है और इसके लिए सुरक्षा बलों की जरूरत है।

    वहीं ममता सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इसका विरोध किया तो AG ने कहा कि त्रिपुरा में 300 कंपनी, मेघालय में 100 कंपनी और नागालैंड में 270 कंपनी सुरक्षा बल की जरूरत है। ऐसे में सुरक्षा बल को इतने लंबे वक्त तक एक जगह नहीं रखा जा सकता।

    सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में पश्चिम बंगाल सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट इस मामले की सुनवाई पांच फरवरी को करेगा।

    इससे पहले 27 नवंबर 2017 को पश्चिम बंगाल सरकार के कडे विरोध के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने दार्जलिंग और कालिमपोंग से केंद्र सरकार को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल ( CAPF )की चार और कंपनियां हटाने की अनुमति दे दी थी। इसके बाद वहां चार कंपनी बल ही बचा था।

    चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने केंद्र सरकार की गुजरात  चुनाव के लिए आठ कंपनियों में से चार तक हटाने की गुहार को मंजूर कर लिया था। सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से AG केके वेणुगोपाल ने कहा था कि सुरक्षा बल किस संख्या में और किस जगह तैनात रहें ये फैसला केंद्र सरकार के अधिकारक्षेत्र में है। कोर्ट को इसमें दखल नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इलाके में  हालात अब काबू में है और हाईवे भी साफ हो चुका है। केंद्र सरकार को ये सुरक्षा बल गुजरात चुनाव में तैनात करने के लिए चाहिए। असम में केंद्रीय सुरक्षा बलों की 300 से ज्यादा कंपनियां तैनात हैं क्योंकि वहां विदेशियों की पहचान का काम चल रहा है।वैसे भी राज्य सरकार के पास बल मौजूद है।

    वहीं ममता सरकार की ओर से इसका विरोध किया गया था। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है।राज्य सरकार ने हालात का जायजा लेने के लिए कमेटी भी बनाई है और वो इसकी रिपोर्ट केंद्र को सौंपेगी।

    गौरतलब है कि 27 अक्तूबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग और कालिमपोंग से सुरक्षा बलों की सात कंपनियों को हटाने की इजाजत दे दी थी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के सुरक्षा बल हटाने पर लगाई रोक के आदेश पर स्टे लगा दिया था। केंद्र की अर्जी पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने कहा था कि अब कलकत्ता हाईकोर्ट मामले की सुनवाई नहीं करेगा। वहीं कोर्ट ने इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा था। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था कि अंतरिम आदेश के तहत केंद्र  केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की सात कंपनियों को हटा सकता है लेकिन आठ कंपनियां वहीं रहेंगी। कोर्ट ये देखेगा कि ऐसे मामलों में कोर्ट दखल दे सकता है ? अगर नागरिकों के लिए दखल दे सकता है तो किस हद तक ?

    दरअसल केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें  पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग और कालिमपोंग से सुरक्षा बलों की सात कंपनियों को हटाने पर 27 अक्तूबर तक रोक लगा दी गई थी। केंद्र सरकार ने हालात को देखते हुए 15 में से सात कंपनियों को हटाने का फैसला लिया था। इससे पहले राज्य सरकार ने केंद्र को 25 दिसंबरतक बलों को ना हटाने को कहा था। लेकिन केंद्र के इंकार के बाद राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। केंद्र का कहना था कि चुनाव आयोग ने भी गुजरात व हिमाचल प्रदेश में चुनाव के लिए सुरक्षा बलों की मांग की है।

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