पद्मावत रिलीज से पूर्व हिंसा : चार राज्यों व करणी सेना के नेताओं के खिलाफ अवमानना की याचिका पर सुनवाई को तैयार सुप्रीम कोर्ट
LiveLaw News Network
25 Jan 2018 3:49 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उन दो याचिकाओं पर सुनवाई करने पर सहमति जताई है जिनमें गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा और करणी सेना के नेताओं के खिलाफ विवादित फिल्म 'पद्मावत' के रिलीज से पहले कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कदम नहीं उठाए जाने पर दाखिल की गई हैं।
दरअसल चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने राज्यों को सिनेमाघरों को पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने का आदेश दिया था।
इनमें से एक याचिका तहसीन पूनावाला और दूसरी वकील विनीत ढांडा की ओर से दाखिल की गई हैं।
गौरतलब है कि करणी सेना जैसे संगठनों के कई राज्यों में हिंसा, पुलिस से टकराव, वाहनों में आगजनी और मॉल में तोडफोड के चलते राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में मल्टीप्लेक्स के मालिकों ने फिल्म को दिखाने से इंकार कर दिया। गुरुग्राम में प्रदर्शनकारियों ने स्कूल के बच्चों से भरी बस पर एक भयानक हमला किया।
अपनी याचिका में वकील विनीत ढांडा ने आरोप लगाया कि बुधवार को पद्मावत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर श्री राजपूत करणी सेना से जुडे करीब 50 लोगों ने गुरुग्राम के भौंडसी इलाके में हरियाणा रोडवेज की बस को आग लगा दी जबकि एक अन्य बस पर हमला किया।
"उन्होंने गुरुग्राम अलवर राष्ट्रीय राजमार्ग पर तैनात हरियाणा पुलिसकर्मियों पर पथराव किया जिसमें कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए। बच्चों और कर्मचारियों को ले जाने वाली स्कूल बस पर भी पथराव किया गया, हालांकि उसमें कोई घायल नहीं हुआ। राजपूत समुदाय से जुड़े नकाबपोश युवाओं के हिंसक विरोध के बाद क्षेत्र में घंटों तक सड़क यातायात बाधित रहा।
याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि करणी सेना फिल्म पद्मावत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही है। "वे आम जनता को उकसा रहे हैं और फिल्मों के प्रदर्शन के खिलाफ उन्हें गुमराह कर भावनाओं को भडका रहे हैं।”
वहीं दूसरे याचिकाकर्ता तहसीन पूनावाला ने कहा, "मैंने अदालत से आग्रह किया है कि वे चार राज्यों के मुख्य सचिवों को बुलाएं और उनके व करणी सेना के नेताओं के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करे। जो हो रहा है वो सुप्रीम कोर्ट के 18 जनवरी के आदेश का एक बड़ा उल्लंघन है जो कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए संबंधित राज्यों की सरकारों को जिम्मेदारी सौंपता है। लेकिन हिंसा को देखते हुए लगता है और वे इसे नियंत्रित नहीं कर सकते।” चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने जल्द सुनवाई की मांग पर कहा, "ठीक है, सोमवार को सुना जाएगा।
पूनावाला ने कहा, “ करणी सेना के नेता के बयानों में कहा जा रहा है कि अगर हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करेंगे तो देश टूट जाएगा।”
गौरतलब है कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने 18 जनवरी के आदेश को संशोधित करने से इनकार कर दिया था, जिसमें चार राज्यों में विवादास्पद फिल्म पद्मावत की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध हटा दिया गया था।
मध्यप्रदेश और राजस्थान की याचिका को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने खारिज कर दिया था कि सिनेमैटोग्राफ अधिनियम धारा 6 के तहत उन्हें कानून और व्यवस्था के संभावित उल्लंघन के आधार पर किसी भी विवादास्पद फिल्म की प्रदर्शनी को रोकने के लिए अधिकार प्रदान करता है।