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मद्रास हाई कोर्ट ने एक दंपति को ई-मेल से सम्मन प्राप्त करने की बात स्वीकार करने पर ओमान जाने की अनुमति दी [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
23 Jan 2018 3:06 PM GMT
मद्रास हाई कोर्ट ने एक दंपति को ई-मेल से सम्मन प्राप्त करने की बात स्वीकार करने पर ओमान जाने की अनुमति दी [आर्डर पढ़े]
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अधिक से अधिक अदालतें अब आधुनिक तकनीक को अपनाने लगी हैं।

इस तरह की एक नवीनतम घटना में, मद्रास हाई कोर्ट ने आव्रजन अधिनियम के तहत आपराधिक मामला झेल रहे एक दंपति को इस शर्त पर ओमान जाने की अनुमति दे दी कि उसे ईमेल के माध्यम से सम्मन भेजा जाएगा और वह इस तरह से सम्मन प्राप्त करने पर आपत्ति नहीं करेगा।

न्यायमूर्ति सीटी सेल्वम ने याचिकाकर्ता प्रेमकुमार थंगादुराई और हन्ना वनिता कुमारी जोसफ  को ओमान जाने की अनुमति दे दी।

इस दंपति ने इससे पहले तम्बरम के मजिस्ट्रेट की अदालत में आवेदन देकर ओमान जाने की अनुमति मांगी थी और इन्होंने वादा किया था कि वे ईमेल से सम्मन मिलने पर कोर्ट में हाजिर होंगे।

मजिस्ट्रेट ने उनको 1 दिसंबर 2018 तक ओमान में रहने की अनुमति दी।

इस दंपति ने इसके बाद हाई कोर्ट में एक संशोधन याचिका दायर की और यह कहा कि व्यवसाय के कारण उन्हें कम अंतराल पर ओमान जाना पड़ेगा और किसी विशेष तिथि पर उनको भारत में रहने की बाध्यता से वे मुश्किल में पड़ जाएंगे।

इस पर न्यायमूर्ति सेल्वम ने उनको एक हलफनामा दाखिल करने को कहा कि वे ईमेल से सम्मन प्राप्त होने पर कोर्ट में हाजिर होंगे।उन्होंने इसके अनुरूप हलफनामा दायर किया।

इससे पहले मई 2017 में कोर्ट ने व्हाट्सएप, टेक्स्ट संदेश और ईमेल के माध्यम से सम्मन भेजे जाने की अनुमति दी थी और बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी सम्मन की तामील के लिए इन माध्यमों के प्रयोग की अनुमति दी थी।


 
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