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लाभ के पद का मामला : राष्ट्रपति ने सभी 20 आप विधायकों को अयोग्य ठहराने के चुनाव आयोग का सुझाव मान लिया [अधिसूचना पढ़ें]
![लाभ के पद का मामला : राष्ट्रपति ने सभी 20 आप विधायकों को अयोग्य ठहराने के चुनाव आयोग का सुझाव मान लिया [अधिसूचना पढ़ें] लाभ के पद का मामला : राष्ट्रपति ने सभी 20 आप विधायकों को अयोग्य ठहराने के चुनाव आयोग का सुझाव मान लिया [अधिसूचना पढ़ें]](http://hindi.livelaw.in/wp-content/uploads/2018/01/Ram-Nath-Kovind.jpg)
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने के चुनाव आयोग की सिफारिश को अपनी स्वीकृति दे दी।
जिन विधायकों को अयोग्य ठहराया गया है वे हैं आदर्श शास्त्री (द्वारका), अलका लाम्बा (चाँदनी चौक), अनिल बाजपेई (गाँधीनगर), अवतार सिंह (कालकाजी), कैलाश गहलोत (नजफगढ़), मदन लाल (कस्तूरबा नगर), मनोज कुमार (कोंडली), नरेश यादव (मेहरौली), नितिन त्यागी (लक्ष्मीनगर), प्रवीण कुमार (जंगपुरा), राजेश गुप्ता (वजीरपुर), राजेश ऋषि (जनकपुरी), संजीव झा (बुरारी), सरिता सिंह (रोहतास नगर), सोम दत्त (सदर बाज़ार), शरद कुमार (नरेला), शिव चरण गोएल (मोतीनगर), सुखबीर सिंह (मुंडका), विजेंदर गर्ग (राजिंदर नगर) और जरनैल सिंह (तिलक नगर)।
इन विधायकों को मार्च 2015 में संसदीय सचिव नियुक्त किया गया था। इनको अयोग्य ठहराने के मामले को एक याचिका द्वारा राष्ट्रपति के संज्ञान में जून 2015 में लाया गया। यह याचिका प्रशांत पटेल ने दाखिल किया था और इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली अधिनियम, 1991 की धारा 15 के तहत लाया गया था। वैसे शरू में शिकायत 21 विधायकों के खिलाफ दाखिल किया गया था, पर बाद में रजौरी गार्डन के विधायक जरनैल सिंह ने पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के खिलाफ 2017 चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया था।
इसके जवाब में दिल्ली विधानसभा ने दिल्ली मेम्बर ऑफ़ लेजिस्लेटिव असेंबली (रिमूवल ऑफ़ डिसक्वालिफिकेशन), (अमेंडमेंट बिल), 2015 पास किया और संसदीय सचिवों को लाभ के पद से बाहर कर दिया। हालांकि राष्ट्रपति ने इस बिल को अपनी स्वीकृति नहीं दी।
लगभग उसी समय दिल्ली हाई कोर्ट ने संसदीय सचिव के पद को अवैध घोषित कर दिया। इसके बाद विधायकों ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया और उससे कहा कि वह इस संबंध में दिए गए आवेदन पर गौर न करे क्योंकि दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी नियुक्त को पहले ही निरस्त कर दिया है। लेकिन चुनाव आयोग ने उनकी नहीं सुनी।
इसके बाद विधायकों ने अंतरिम राहत के लिए हाई कोर्ट में अपील दाखिल की पर कोर्ट ने उनकी अनसुनी कर दी और सुनवाई के दो वर्ष के दौरान उनके व्यवहार पर नाराजगी जताई।
अपने आदेश में राष्ट्रपति ने कहा, “...चुनाव आयोग द्वारा व्यक्त किए गए विचार को देखते हुए, मैं, राम नाथ कोविंद, भारत का राष्ट्रपति, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली अधिनियम, 1991 की धारा 15(4) के तहत दिए गए अधिकार के तहत घोषणा करता हूँ कि दिल्ली विधानसभा के उक्त 20 विधायक इस विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराए जाते हैं।”