Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के फुटपाथ को दिव्यांगों के प्रयोग लायक बनाने के लिए नगर निकायों को कार्य योजना बनाने को कहा [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
21 Jan 2018 11:36 AM GMT
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के फुटपाथ को दिव्यांगों के प्रयोग लायक बनाने के लिए नगर निकायों को कार्य योजना बनाने को कहा [आर्डर पढ़े]
x

दिल्ली हाई कोर्ट ने नगर निकायों से कहा है कि वे दिल्ली विश्वविद्यालय के फुटपाथ को दिव्यांगों के प्रयोग लायक बनाने के लिए कार्य योजना बनाएं ताकि जो देख नहीं सकते वे एक जगह से दूसरे जगह निर्बाध जा सकें।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और सी हरि शंकर की पीठ ने दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र हिमांशु गोस्वामी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया। गोस्वामी ने अपनी याचिका में देख नहीं पाने वाले छात्रों को विश्वविद्यालय में एक जगह से दूसरे जगह जाने में पेश आने वाली मुश्किलों का जिक्र किया है। उन्होंने कहा है कि फुटपाथ पर जगह जगह वाहन खड़े होते हैं, खोमचे वालों का ठेला होता है, पुलिस बूथ होता है और होर्डिंग्स लगे होते हैं जिसकी वजह से उन्हें चलने में परेशानी होती है।

हाल की सुनवाई में कोर्ट ने “गाइडलाइन्स फॉर पेडेस्ट्रियन फैसिलिटीज” नामक पुस्तक पर गौर किया जिसे इंडियन रोड्स कांग्रेस ने मई 2012 में प्रकाशित किया। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि सभी अथॉरिटीज यह दावा करते हैं कि उन्होंने सभी भवनों और संरचनाओं को दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक बना दिया है पर यह सच नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि अथॉरिटीज एक दूसरे के माथे पर दोष मढ़ रहे हैं। उदाहरण के लिए कहा गया कि कुछ फुटपाथ नगर निगम के अधीन आते हैं जबकि कुछ पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट के अधीन। फिर बस स्टैंड के रखरखाव की जिम्मेदारी पूरी तरह डीटीसी पर थोप दी गई।

कोर्ट ने इसके बाद उत्तरी दिल्ली कैंपस और दक्षिणी दिल्ली कैंपस को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रयोग करने को कहा। कोर्ट ने आदेश दिया, “प्रतिवादी उठाए गए वास्तविक क़दमों के बारे  में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेंगे कि सभी भावनों/प्रतिष्ठानों को दिव्यांगों के अनुकूल बनाने के लिए क्या किया गया है। ये काम कितने समय में कब तक हो सकता है इस बारे में कार्य योजना भी प्रस्तुत करने को कहा है।“

कोर्ट ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम और दक्षिण दिल्ली नगर निगम को संयुक्त रूप से कैंपस का निरीक्षण करने को कहा। उनसे अब उम्मीद की जाती है कि वे फुटपाथ को चलने योग्य बनाने के लिए उस पर मौजूद सभी तरह के अवरोधों को हटा लेने के लिए कार्य योजना बनाएंगे।

कोर्ट ने आगे कहा कि यह नगर निकाय का कर्तव्य है कि अगर किसी अवरोध को हटाया जाना है तो वे इसकी सूचना उस संबंधित अथॉरिटी को देंगे। उन्हें छह सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया और मामले की अगली सुनवाई 6 मार्च को निर्धारित किया गया।

Next Story