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मेडिकल कॉलेज घोटाले में मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ सीजेएआर की शिकायत कोर्ट की अवमानना : वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने लिखा पत्र [पत्र पढ़ें]

LiveLaw News Network
18 Jan 2018 7:27 AM GMT
मेडिकल कॉलेज घोटाले में मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ सीजेएआर की शिकायत कोर्ट की अवमानना : वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने लिखा पत्र [पत्र पढ़ें]
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कैंपेन फॉर जुडिशल एकाउंटिबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (सीजेएआर) ने मेडिकल कॉलेज घोटाले में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ आतंरिक जांच की मांग की है लेकिन वरिष्ठ एडवोकेट विकास सिंह का कहना है कि सीजेएआर की शिकायत में अनेक खामियां हैं और इसलिए सीजेएआर के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की बात कही है.

यह शिकायत सीजेएआर की कार्यपालक समिति ने सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठतम जजों, न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति आर गोगोई, न्यायमूर्ति एमबी लोकुर और न्यायमूर्ति के जोसफ और न्यायमूर्ति एके सिकरी से की। सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया की पैरवी की थी। सिंह ने इन पाँचों जजों को पत्र लिखा है।

अपने पत्र में उन्होंने शिकायत में दिए गए एक बयान का जिक्र किया है जिसमें आरोप लगाया है कि इस मामले में 18 सितम्बर 2017 को जो आदेश पास हुआ था उसे खुले कोर्ट में लिखाया गया था या इसे लंबित रखा गया और एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद लिखाया गया। कोर्ट ने 18 सितम्बर को प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट की अपील को न मानते हुए उसे उस एकेडेमिक वर्ष में कॉलेज को बंद रखने को कहा। यही वो अपील है जिसके लिए सीबीआई ने यह कहते हुए एफआईआर दर्ज किया कि उड़ीसा हाई कोर्ट के पूर्व जज आईएम कुद्दुसी सहित कुछ लोगों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के जज को मामले की सुनवाई के लिए घूस देने का षड्यंत्र रचा गया।

सीजेएआर के दावे से इनकार करते हुए सिंह ने कहा, “यह बयान झूठा है क्योंकि इसी तरह के आदेश उस दिन के लिए सूचित पांच और मामलों में भी मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने पास किए जिसमें न्यायमूर्ति खानविलकर और न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ भी थे। किसी कॉलेज विशेष के लिए आदेश को बदलने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता और तथ्य तो यह है कि कॉलेज के वकील अमित कुमार ने आदेश के लिखाए जाने के तुरंत बाद हमारे वकील गौरव शर्मा से कहा था कि कॉलेज अगले साल कम से कम बचा है। कॉलेज के वकील को ये बातें इतनी स्पष्ट थीं और यह मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया के वकील गौरव शर्मा से भी पता किया जा सकता है।”

इसके बाद सिंह ने कहा कि उस दिन कोर्ट के समक्ष अधिसूचित मेडिकल कॉलेज के दस मामलों में से नौ मामलों में आदेश को सुप्रीम कोर्ट के वेबसाइट पर उपलब्ध करा दिया गया था और इनमें से पांच एक ही तरह के आदेश थे जिसमें इन कॉलेजों को चालू वर्ष में काम करने की अनुमति नहीं दी गई थी। सिंह ने इन बातों के मद्देनजर कहा कि सीजेएआर की शिकायत “न्यायपालिका को बदनाम करने जैसा है और इसलिए शिकायतकर्ता के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला दायर किया जाना चाहिए।”


 

Image Source: PTI
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